वास्तविक चुनौती यह है।
चुनाव हो और चुनौती न हो , यह हो ही नहीं सकता ।
स्वाभाविक है इस बार के चुनाव में भी सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनौती है ।
यूं तो सभी दलों के अपने अपने दावे हैं और सब एक दूसरे को चुनौती दे रहे है लेकिन मेरी निगाह में सभी दलों को सीटों के मामले में दी हुई संख्या को पार करना चुनौती है ।
कांग्रेस – चौवन सीटों से पार जीतना चुनौती
बसपा – शून्य से पार जाना चुनौती
सपा – तीन से ज्यादा जीतना चुनौती
राजद – एक से ज्यादा जीतना चुनौती
शिवसेना उद्धव – दो से ज्यादा जीतना चुनौती
एनसीपी – तीन से ज्यादा जीतना चुनौती
एआईएमआईएम – दो से ज्यादा जीतना चुनौती
तृणमूल कांग्रेस – अट्ठारह से ज्यादा जीतना चुनौती
सीपीआई – एक से ज्यादा जीतना चुनौती
सीपीएम – पांच से ज्यादा जीतना चुनौती
डीएमके – अट्ठारह से ज्यादा जीतना चुनौती
मुस्लिम लीग – दो से ज्यादा जीतना चुनौती
आप पार्टी – सात सीटों से ज्यादा जीतना चुनौती
अकाली दल – दस सीटों से ज्यादा जीतना चुनौती
निर्दलीय – एक से ज्यादा ज्यादा चुनौती
एनडीए – तीन सौ पिछहत्तर से ज्यादा जीतना चुनौती
मैंने नार्थ ईस्ट और दक्षिण की कुछ पार्टियों को इसलिए छोड़ दिया है क्योंकि वो इक्का दुक्का सीटों पर ही चुनाव लड़ रहे हैं और लोकसभा के बहुमत में उनकी ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका नहीं होगी।
मेरे आकलन के हिसाब से ऊपर दी हुई पार्टियां दी हुई सीटें तो सम्भवतः जीत रही हैं लेकिन उस संख्या को पार करना इन दलों के लिए कठिन चुनौती मालूम पड़ता है। शायद ही कोई दल चुनौती को पार कर पाये
महत्वपूर्ण बात यह है कि एक दो तथाकथित बड़े दल शून्य के स्तर पर पंहुच रहे हैं। इन दलों को इन चुनावों के बाद आत्ममंथन करना चाहिए।
कुछ मित्र यह शिकायत कर सकते हैं कि यह लोकसभा की सभी सीटों का आकलन नहीं बैठता, उन्हीं के लिए बता रहा हुं ऊपर कहे गये क्षेत्रों के कुछ दलों और सीटों को छोड़ा गया है
यह आंकलन पूरी तरह charchakavishay.com का है जो चुनावी चर्चाओं के आधार पर आंकलित किया गया है।
देखते हैं वास्तविक परिणाम क्या होते हैं। यदि आपका कुछ और आंकलन है तो कमेंट के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं।