सुरंग आपदा पर तकनीक और आस्था की जीत

उत्तराखंड की सिलक्यारा  सुरंग निर्माण के दौरान घटी  घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। हर कोई श्रमिकों की सुरक्षित वापसी चाहता था । सरकार, इंजीनियरों के प्रयास, लोगों के पूजा और विश्वास से अंततः कठिन प्रयास सफल हुआ और सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकाले जा सके ।

बताया जा रहा है कि निर्माण के दौरान रोजाना एक पाईप अंदर तक डाला जाता था ताकि यदि कहीं से मलवा गिरे और बाहर निकासी का रास्ता बंद हो जायें तो निर्माणाधीन सुरंग से श्रमिकों को उस पाईप से सुरक्षित बाहर निकाला जा सके । लेकिन इसे संयोग कहें या लापरवाही कि चूंकि अभी तक मलवा गिरने की घटना नहीं घटी थी तो 12 नवंबर को वह पाईप नहीं डाला गया।बस उसी दिन सुरंग के हिस्से में जबरदस्त मलवा गिर गया और कर्मवीरों के बाहर आने का रास्ता बंद हो गया। उस दिन से यह 41 कर्मवीर सुरंग में फंसे थे और बाहर आने की जद्दोजहद में लगे थे । अच्छी बात यह है कि श्रमिकों को बाहर निकालने में प्रयासरत बाहर की ओर लगे इंजीनियर सुरंग के अंदर आक्सीजन, खाने पीने का सामान और दवाईयां लगातार भेज पा रहे थे । साथ ही सुरंग के भीतर श्रमिकों के पास तक ऐसे  छोटे आडियो, वीडियो संयंत्र पंहुचा दिये गये थे जिससे वह बाहर अपने परिजनों और अन्य लोगों से बात कर पा रहे थे ।  अंदर और बाहर दोनों पक्ष एक दूसरे को देख भी पा रहे थे । इससे श्रमिक अपनी परेशानी साझा कर पा रहे थे और उन्हें जरुरत के अनुसार दवाईयां और अन्य सामान भेजा जा रहा था । इससे एक ओर सुरंग में फंसे कर्मवीरों का हौंसला बना रहा तो दूसरी ओर बाहर बेसब्री से इंतजार कर रहे उनके परिजनों, मित्रों , शुभचिंतकों एवं पूरे देश का भी हौंसला बना रहा ।

एक बात  देश को राहत देने वाली है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दुनिया में उपलब्ध श्रेष्ठतम तकनीक को उपलब्ध कराया गया ताकि सुरंग में फंसे श्रमिकों को किसी भी कीमत पर बाहर निकाला जा सके । केंद्र और राज्य सरकार के अनेक विभागों और सेना ने एक साथ मोर्चा संभाल रखा था। एक ओर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री खुद सिलक्यारा में लगातार कैम्प कर रहे थे तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री कार्यालय पल पल की अपडेट ले रहा था । साथ ही जो भी मदद की आवश्यकता दुनिया के किसी भी कोने से हो , उसको उपलब्ध कराया गया । दुनिया के श्रेष्ठतम  सुरंग निर्माण के वैज्ञानिक और ऐसी घटना पर श्रेष्ठतम तकनीक रखने वाली कंपनियां सिलक्यारा में मौजूद रहीं  और श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए संघर्षरत रहीं । लगातार कई प्लान पर काम किया गया ताकि यदि कोई एक प्लान फेल हो जाए तो दूसरे प्लान या तीसरे प्लान पर काम चलता रहे । इसी  दौरान एक प्लान में एक आगर मशीन का इस्तेमाल किया गया ।  इस  मशीन के बाद यह उम्मीद बंधी थी कि कुछ ही घंटों में श्रमिकों को बाहर निकाला जा सकेगा लेकिन यह प्लान असफल हो गया क्योंकि आगर मशीन का वर्मा सुरंग में रास्ते में आई रूकावटों में फंस गया और टूट गया ।  फिर उस सुरंग के अंदर फंसे आगर मशीन के बरमे को निकालने के लिए प्लाज्मा कटर को हवाई सुविधा द्वारा मंगाया गया । अब अन्य प्लानों पर काम किया गया । एक तरफ से होरिजेंटल खुदाई तो  दूसरी ओर वर्टिकल खुदाई करी जा रही थी । इसी के साथ आगर मशीन का वर्मा बाहर निकालने के बाद रैट माइनर्स के माध्यम से हाथों से खुदाई का तीसरा प्लान निर्वाध चलता रहा । उल्लेखनीय है रैट माइनिंग बहुत कठिन कार्य है और भारत में इस पर कानूनी प्रतिबंध भी है ।  बताया जा रहा है कि सेना के रैट माइनर्स चौबीसों घंटे हाथों से अपने औजारों से खुदाई करते रहे। जैसे जैसे खुदाई आगे बढ़ती रही , मशीन से पाईप को आगे धकेला जाता रहा। अंततः वह क्षण आया जब रैट माइनर्स खुदाई के आर-पार के चमत्कारिक कार्य को पूरा कर सके और सुरंग के अन्दर फंसे श्रमिकों से उनका आमना सामना हो गया।  इसी क्षण का पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा था । एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के मुख्य अधिकारी, अन्य जरूरी एजेंसी , केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने तत्काल पाईप से अंदर घुस श्रमिकों को बाहर निकालने के पाईप मार्ग का जायजा लिया गया। अंततः बहुप्रतीक्षित आपरेशन सुरंग पूरा हुआ और सभी श्रमिक सकुशल बाहर आ सके ।

इस आपरेशन में करीब एक हजार से ज्यादा लोग लगे थे और भारत सरकार ने दुनिया के कई देशों से मदद ली, हालांकि अंततः भारत की सेना के विशेषज्ञ ही आपरेशन सफलतापूर्वक पूरा करने में कामयाब हुए ।

इस घटना के दौरान एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण दृश्य भी देखने को मिला । सोशल मीडिया पर ऐसी बहुत सी पोस्ट देखने को मिल रही थी और कुछ सरकार विरोधी नेताओं के बयान भी ऐसे आए थे जिससे लगता था कि वह नहीं चाहते की सुरंग में फंसे श्रमिक सुरक्षित बाहर निकल सके ताकि यह लोग सरकार पर हमलावर हो सके । तंज यह भी कसा जा रहा था कि हम चांद पर पहुंच गए लेकिन सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर नहीं निकल पा रहे । जबकि सबको पता है दोनों अलग-अलग परियोजनाएं हैं । चांद पर जाना या मंगल पर यान भेजना एक अलग विषय है और सुरंग बनाना एवं सुरंग में निर्माण में फंसे श्रमिकों को निकालना एक अलग विषय है । यह नकारात्मक लोग हैं जिनका काम सिर्फ कमियां निकालना है और लगातार किसी योजना में लगे लोगों को हतोत्साहित करना है । ऐसे सोशल मीडिया वीरों की और नेताओं की निश्चय ही कड़ी निंदा की जानी चाहिए ।

इस सुरंग दुर्घटना में दो और संयोग हुए । बताया जाता है कि 12 नवंबर को सुरंग के गेट पर स्थित एक मंदिर को तोड़ दिया गया और उसके बाद श्रमिक सुरंग के अंदर काम करने चले गए ।  उसी दिन यह घटना घट गई । इसको देवीय प्रकोप भी माना गया । निर्माण करने वाली कंपनी ने आनन फानन में कंपनी के सुरंग के द्वार पर पुनः  मंदिर की स्थापना की । इसी तरह से 27 नवंबर को वहां बारिश से बहने वाली मिट्टी से सुरंग के गेट पर अचानक ऐसी आकृति बनी जो भगवान शिव की आकृति से मेल खाती है । इस अचानक बनी आकृति के भी लोग अपने-अपने संदर्भ में अलग-अलग मायने निकालने लगे । लोगों ने यहां तक कहा कि अब भगवान शिव स्वयं उपस्थित हो गये हैं अब सफलता को कोई रोक नहीं सकता। अब इसे चमत्कार कहें या संयोग कि 28 नबंबर को आपरेशन को सफलता मिल गयी 🙏

फिलहाल हम सभी को अपने-अपने आराध्य का धन्यवाद करना चाहिए कि सुरंग में फंसे श्रमिक सकुशल बाहर आ सके और सरकार को इस बात का धन्यवाद देना चाहिए कि वह इस दुर्घटना को अपने टॉप एजेंडे पर रखे रही और किसी भी प्रकार की सहायता की कमी नहीं होने दी ।  दुनिया में इस वक्त की उपलब्ध श्रेष्ठतम तकनीक को उपलब्ध कराया।

आज चर्चा यही तक ।  charchakavishay.com भी  भगवान शिव को धन्यवाद अर्पित करता है कि अंततः उन्होंने आशीर्वाद दिया और उनके दर्शन देते ही आपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया 🙏

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