महाराष्ट्र में नाहक उबाल
महाराष्ट्र में औरंगजेब के नाम को लेकर अचानक से उबाल आया हुआ है । कई शहरों में औरंगजेब के स्टेटस या उसके नाम को लेकर बवाल हुआ है । कई जगह हालात इतने खराब हुए हैं कि इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ी है । पुलिस वालों की तैनाती करनी पड़ी है । यह सब कुछ अचानक है ।
ऐसा लगता है मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की कोई साजिश रची जा रही है । वैसे भी महाराष्ट्र में शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस तीनों मुस्लिम वोटों के दावेदार हैं । ऐसे में तीनों पार्टियां खुद को मुस्लिम हितैषी साबित करने में जुटी है । कांग्रेस और एनसीपी को मुस्लिम वोट पहले से ही मिलता रहा है । लेकिन शिवसेना के लिए यह एक नया मामला है । अभी तक माना जाता रहा है कि महाराष्ट्र में मुसलमान शिवसेना से दूरी बनाए रखते हैं लेकिन नए हालातों में शिवसेना को मुस्लिम वोटों की दरकार है । स्वाभाविक है कि शिवसेना मुस्लिम वोटों के लिए ज्यादा प्रयासरत होगी । शिवसेना के नेताओं के बयानों से भी लगता है ।
समाज का एक वर्ग भले ही औरंगजेब के साथ खड़ा हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं कि भारत के सन्दर्भ में औरंगजेब का व्यक्तित्व विवादास्पद है । कुछ भी हो औरंगजेब भारतीय नायक नहीं हो सकता। उसका इतिहास एक धर्म विशेष के लोगों के साथ शोषण का है । उसमें कभी भी मानवीय न्याय नहीं किया । बल्कि हमेशा धर्म के आधार पर कुछ लोगों को संरक्षण दिया तो कुछ लोगों को परेशान किया । क्योंकि औरंगजेब और छत्रपति शिवाजी में शिवाजी में लगातार संघर्ष रहा और दोनों की कर्मभूमि महाराष्ट्र है तो स्वभाविक है कि महाराष्ट्र में दोनों के नाम पर प्रतिक्रिया होती है ।
जब से एकनाथ शिंदे की सरकार बनी है तब से ऐसा लगता है की मुस्लिम वोटों के लिए एनसीपी कॉन्ग्रेस और शिवसेना में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा बनी हुई है और यही प्रतिस्पर्धा समाज में कटुता का माहौल पैदा कर रही है । यह दुर्भाग्य है । सरकार को उन तत्वों के साथ शक्ति से पेश आना चाहिए जो औरंगजेब के नाम पर प्रदेश में झगड़े फसाद पैदा कर रहे हैं । अच्छी बात यह है शिंदे सरकार कड़ा संदेश दे रही है और आपराधिक तत्वो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है लेकिन भाजपा को और शिंदे शिवसेना को अपने भी उन तत्वों पर लगाम लगानी चाहिए जो इस झगड़े फसाद को हवा दे रहे हैं ।