लोकसभा चुनाव
आज चर्चा बस अपनी लोकसभा सीट अमरोहा की
मेरी लोकसभा – अमरोहा
मेरी 1713154 मतदाताओं बाली लोकसभा सीट पर मतदान दूसरे चरण यानि 26 अप्रैल को होगा।
यूं तो 12 प्रत्याशी मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा बसपा और कांग्रेस – सपा गठबंधन में होगा। भाजपा से लगातार तीसरी बार चौधरी कंवर सिंह तंवर मैदान में हैं तो बसपा के पिछले विजेता प्रत्याशी दानिश अली इस बार कांग्रेस सपा गठबंधन की ओर से मैदान में हैं। बसपा ने साफ सुथरी छवि के डाक्टर मुजाहिद हुसैन को प्रत्याशी बनाया है।
2014 में भाजपा के कंवर सिंह तंवर ने सपा प्रत्याशी को भारी मतों से पराजित किया था लेकिन 2019 के चुनाव में वह दानिश अली से पराजित हुए।
यूं तो भाजपा ने 2019 में 2014 से भी ज्यादा वोट हासिल किये लेकिन पराजय के दो प्रमुख कारण रहे । पहला सपा बसपा में गठबंधन होना जो बड़ा कारण था दूसरा कारण था कंवर सिंह तंवर के कुछ सजातीय तत्वों से शहरी और ग्रामीण इलाकों की जनता का त्रस्त होना। इन तत्वों पर लगाम लगाने में कंवर सिंह तंवर असफल रहे।
अब बार करें 2024 की तो पहली टीस यह है कि 2022 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो अमरोहा लोकसभा की हिस्सा हसनपुर विस चुनाव में तमाम गूजर मतदाता भाजपा के खिलाफ सपा के सजातीय प्रत्याशी के पक्ष में एकजुट हो गये । यहीं नहीं कुछ और स्थानीय चुनाव में भी गूजर मतदाता भाजपा के खिलाफ लामबंद रहे और चौधरी कंवर सिंह तंवर अपने साथियों को साधने में असफल रहे हालांकि तब भी मुस्लिम और खड़गवंशी बहुल हसनपुर विस में भाजपा का परचम लहराया लेकिन लोगों में टीस होना स्वाभाविक है ।
क्षेत्र की अमरोहा विस मुस्लिम बहुल है और वहां से भाजपा प्रत्याशी की सपा-कांग्रेस प्रत्याशी पर बढ़त मुश्किल है जबकि धनौरा में भाजपा और बसपा का मुकाबला होगा । सम्भव है कि गढ़ विस में भी ऐसा ही हो ।
हसनपुर विस , सीट का फैसला करेगी जहां एक लाख से ज्यादा एकमुश्त खड़गवंशी वोट है । अच्छी बात है कि अच्छी बात यह कि खड़गवंशी समाज के सभी नेता और उनके समर्थक जी जान से भाजपा के लिए जुटे हैं।
मेरा आकलन है कि भाजपा ही लोकसभा सीट जीतेगी। लेकिन भाजपा प्रत्याशी को दो तरह के लोगों से सावधान रहना चाहिए।
पहला उन सजातीय लोगों से जिन्होंने उनके 2014 में उनके सांसद होने के कारण लोगों को त्रस्त किया और जो 2019 से लगातार भाजपा का विरोध कर रहे हैं । ऐसे लोगों को न अपने मंच पर जगह दें और न अपने इर्द-गिर्द आने दें और दूसरे भाजपा के फोटो सेशन बाले कार्यकर्ताओं से जिनका पार्टी के काम से दूर दूर तक भी सरोकार नहींमुझे लगता है आम जन को भाजपा प्रत्याशी से कोई शिकायत नहीं बस चुनाव को जनता के बीच ले जाने की जरूरत है।
हां यदि मुस्लिम समुदाय एक बार फिर पिछली जीत को याद कर बसपा की ओर मुड़ गया तो चुनाव रोमांचक हो जायेगा जिसकी फिलहाल उम्मीद कम है । अच्छी बात है कि इस बार सपाइयों में कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर कोई उत्साह अभी तक तो नजर नहीं आता।
यदि में संक्षेप में बात पूरे मुरादाबाद मंडल की करूं तो पिछली बार मुरादाबाद बिजनौर नगीना अमरोहा संभल रामपुर सब एनडीए हारा था लेकिन इस बार बिजनौर नगीना अमरोहा में एनडीए बढ़त बनाये है तो संभल और मुरादाबाद में मुकाबला रोमांचक।