कहां तक जायेगी महाराष्ट्र की आंच ?
शरद पवार को अभी यह बयान दिए हुए ज्यादा समय बीता भी नहीं था कि अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस की सरकार में शामिल कराकर मैंने एक गुगली फेंकी थी और फड़नवीस उस गुगली में फंस गए , कि भाजपा के चाणक्य की ओर से एक ऐसी गुगली फेंक दी गई जिसकी शायद शरद पवार को भनक तक न लग सकी।
वैसे पिछले काफी समय से चाचा भतीजे में मतभेद के संकेत मिल रहे थे । महाराष्ट्र का इतिहास भी है चाचा भतीजे के मतभेदों का । याद करिए शिवसेना में बालासाहेब ठाकरे के बाद दूसरा नंबर राज ठाकरे का था । लेकिन अचानक बाला साहब को पुत्र प्रेम जाग उठा और उन्होंने राज ठाकरे को एक तरफ कर दिया । लगभग यही स्थिति एनसीपी की थी । पिछले काफी समय से अजित पवार को पार्टी में नंबर दो का नेता माना जाता था । लेकिन शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सूले को पार्टी का बड़ा नेता बनाना चाहते थे । पार्टी के अधिकांश नेताओं का यह मानना था कि सुप्रिया सूले मैं वो कैलीबर नहीं है कि वह पार्टी को आगे लेकर जा सके । इसलिए एनसीपी के तमाम नेताओं के मन में संशय था और वह उचित समय का इंतजार कर रहे थे । अभी पिछले दिनों भी एनसीपी के नेताओं में पोस्टर वार हुई थी । एनसीपी के इन मतभेदों पर भाजपा की पैनी निगाह थी । मोदी और शाह की जोड़ी शरद पवार के उस धोखे को भूली नहीं थी जब उन्होंने पहले समर्थन का वादा करके अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस की सरकार में शपथ दिलवा दी और फिर ना केवल अपने वायदे से मुकरे , बल्कि अजित पवार से त्यागपत्र दिलवा कर फड़नवीस सरकार गिरा दी । इस घटना से मोदी और शाह की बहुत फजीहत हुई । भाजपा की यह जोड़ी इस बात के लिए विख्यात है कि यह अपने अपमान को भूलती नहीं है । बल्कि उचित समय की तलाश करती है । एनसीपी के मतभेदों ने भाजपा को वह मौका उपलब्ध करा दिया । शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सूले को जिस दिन कार्यकारी अध्यक्ष बनाया उसी दिन तय हो गया था कि कुछ खेल होगा जरूर । और आखिर वो खेल हो गया । शिवसेना की तरह अजीत पवार एनसीपी के अधिकांश नेताओं और कार्यकर्ताओं को लेकर अलग हो गए और सरकार में शामिल हो गये ।उन्होंने साफ-साफ दावा किया कि उनका गुट ही एनसीपी है और वह आगामी चुनाव एनसीपी के चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे । फिलहाल शरद पवार की प्रतिक्रिया से यही लगता है कि उन्हें इस बार चोट का एहसास है, और इसीलिए वह दावा कर रहे हैं कि वह जनता के बीच जाएंगे और दोबारा से अपनी पार्टी को खड़ा करेंगे।
2024 का चुनाव सिर पर है । मुझे नहीं लगता शरद पवार के पास इतना समय है कि वह दोबारा अपनी पार्टी खड़ी कर सकें । यही नहीं इस घटना ने विपक्षी नेताओं के बीच में शरद पवार के कद को घटा दिया है । कहने को तो कुछ लोगों का अब भी यही मानना है कि यह भी शरद पवार की ही गुगली है । लेकिन इस बार ऐसा नहीं लगता । इस बार गुगली भाजपा की लगती है । और शरद पवार उसमें साफ-साफ वोल्ड होते हुए दिखाई दे रहे हैं ।
प्रश्न यह है कि क्या 2024 से पहले का यह ऑपरेशन बस महाराष्ट्र तक ही सीमित रहेगा या अभी अन्य राज्यों में खेल होना बाकी है । बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार को नींद नहीं आ रही है और वह पहली बार अपने विधायकों से एक-एक करके बात कर रहे हैं । उन्हें डर है कि भाजपा जनता दल यू को तोड़कर 2024 से पहले बिहार में उनकी सरकार को गिरा सकती है । दरअसल भाजपा के सुशील मोदी और सम्राट चौधरी जैसे नेताओं के बयानों ने नीतीश कुमार की नींद हराम कर दी है ।
अनेक राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि भाजपा यही नहीं रुकेगी बल्कि ऑपरेशन अन्य राज्यों में भी होगा । देखना है अभी ऑपरेशन और किन राज्यों में जाता है और नीतीश कुमार 2024 तक अपनी सरकार बचाने में सफल हो पाते हैं या नहीं हो पाते ।
देखना यह भी होगा की अजीत पवार अपने साथ गए विधायकों को साथ रखने में सफल हो पाते हैं या नहीं हो पाते । आखिर शरद पवार भी एक खेलें खाये राजनेता हैं और उनको भी बहुत कमजोर नहीं आंका जा सकता ।
फिलहाल चर्चाओं का मजा लीजिए और और देखते जाइऐ चर्चाऐं किन किन दलों और किन-किन नेताओं की नींद हराम करती है । चर्चा का विषय डॉट कॉम में हम आपको लगातार अपडेट देते रहेंगे । चर्चाओं पर चर्चा करते रहेंगे । चर्चाओं का मजा आप भी लीजिए और हम भी लेंगे ।