चंद्रयान - 3 , भारत इतिहास रचेगा,
23 - 24 अगस्त को
14 जुलाई 2023 दिन शुक्रवार हर भारतीय के लिए गर्व की तारीख है । इसी दिन इसरो के वैज्ञानिकों ने chandrayaan-3 को सफलतापूर्वक लांच किया । chandrayaan-3 करीब 384000 किलोमीटर का सफर तय करेगा और उम्मीद है कि 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सौफ्ट लैंडिंग करेगा।
यदि chandrayaan-3 चांद पर लैंडिंग करने में सफल हो जाता है तो दुनिया में भारत ऐसा चौथा देश बन जाएगा जो अभी तक चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं । इससे पूर्व केवल अमेरिका रूस और चीन ही सॉफ्ट लैंडिंग कर सके है । 1960 से 70 के दशक में अमरीका और तत्कालीन सोवियत संघ में स्पेस पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने की जबरदस्त प्रतिस्पर्धा थी । 20 जुलाई 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष खगोलशास्त्री नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर सबसे पहले कदम रखा । उस समय इस मिशन से करीब चार लाख लोग जुड़े थे , ऐसा दावा नासा ने किया था । करीब तीस लोगों की टीम हर क्षण सक्रिय रहती थी । उस समय अमरीका और सोवियत संघ में कितनी कड़ी प्रतिस्पर्धा थी इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि अमरीका विरोधी खेमे ने नील आर्मस्ट्रांग की लैंडिंग को फर्जी करार देते हुए इसे फोटो शाप तक बता दिया था । नील आर्मस्ट्रांग के अतिरिक्त ग्यारह अन्य अंतरिक्ष यात्रियों ने चांद की सतह को छुआ है । चांद की सतह पर उतरने बाले अंतिम व्यक्ति अमरीकी विज्ञानी यूजीन सर्नन थे जिन्होंने ग्यारह दिसंबर 1972 को चांद पर कदम रखा ।
भारत ने डीप स्पेस मिशन की शुरुआत 2008 में की थी जब चंद्रयान – 1 को लांच किया गया था ।
22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारत ने चंद्रयान 2 को चंद्रमा पर भेजा था लेकिन chandrayaan-2 अंतिम समय में कुछ तकनीकी कारणों से चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल हो गया था । अंतिम क्षणों में उसका लैंडर बाहर नहीं आ पाया था । इसलिए इस बार लैंडर के बाहर आने की तकनीक में कुछ बदलाव किए गये हैं । चंद्रयान – 2 भले ही विफल हो गया था लेकिन उसने फिर भी बहुत सारे डेटा अपने नियंत्रण कक्ष को भेजे थे और वह चांद पर पानी की खोज करने में सफल हो गया था ।
चंद्रयान मिशन 3 , करीब 22 दिन पृथ्वी के ऑर्बिट पर रहेगा जबकि 40 दिन बाद यह चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा । मिशन चंद्रयान 3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है । इसका कुल भार 3900 किलोग्राम है ।
chandrayaan-3 , 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा जबकि 23 या 24 अगस्त को यह चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा । इस मिशन में चंद्रयान का एक रोवर चांद की सतह पर उतरेगा और उसकी पोजीशन लूनर साउथ पोल पर होगी । चांद के इस हिस्से को बहुत चुनौतीपूर्ण माना जाता है क्योंकि चांद के इस हिस्से पर पृथ्वी से सीधे नजर रखना मुश्किल है । लेकिन यह संभावना बहुत ज्यादा है कि चांद के इस हिस्से में पानी और दूसरे खनिज पदार्थ हो सकते हैं । सबसे बड़ी बात यह है कि यदि इस हिस्से में पानी और अन्य खनिज मिलते हैं तो भविष्य में चांद के इस हिस्से पर मानव कालोनियां बसाने में बहुत मदद मिलेगी । ऐसे मिशन में जोखिम बहुत ज्यादा होते हैं क्योंकि इस तरह के मिशन का संपूर्ण नियंत्रण कंप्यूटर के पास होता है । स्वाभाविक है एक इंसान 384000 किलोमीटर दूर बैठकर उस को कंट्रोल नहीं कर सकता । इसीलिए इसको नियंत्रित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जाती है ।
chandrayaan-2 जब भेजा गया था तो उसमें तीन हिस्से थे आर्बिटर , लैंडर और रोवर जिसमें आर्बिटर कामयाब रहा और वो अभी भी चांद की आर्बिट में घूम रहा है । इसलिए ही चंद्रयान 3 में आर्बिटर का प्रयोग नहीं किया गया है । इसलिए ही चंद्रयान – 3 की लागत चंद्रयान – 2 से कम है । चंद्रयान 3 का लैंडर और रोवर chandrayaan-2 के लैंडर और रोवर से ज्यादा बजनी है । साथ ही chandrayaan-3 , chandrayaan-2 के मुकाबले ज्यादा तेज गति से चांद की ओर बढ़ेगा । उम्मीद है 40 दिन के सफर के बाद अर्थात 23 या 24 अगस्त को चांद की सतह पर पहुंच जाएगा । चंद्रयान 3 के लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान है । यही नाम चंद्रयान 2 में भी रखे गए थे ।
चंद्रयान की लैंडिंग बहुत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसके लिए कोई कमांड नहीं है । लैंडिंग किस तरह होगी यह कंप्यूटर अपने दृष्टिकोण से तय करेगा । कंप्यूटर अपने सेंसर के हिसाब से लोकेशन , हाइट , वेलोसिटी इत्यादि का अंदाजा लगाकर फैसला करेगा । chandrayaan-3 की सॉफ्ट लैंडिंग तभी सफल होगी जब सभी तरह के सेंसर्स साथ और ठीक काम करें । लैंडिंग के बाद रोवर जो एक तरह का छोटा सा रोबोट है , रैंप से बाहर निकल जायेगा और अगले चौदह दिन तक चांद की सतह पर परिक्षण करेगा ।
फिलहाल देश के न केवल सभी वैज्ञानिकों अपितु सभी नागरिकों को उस क्षण की प्रतीक्षा है जब चंद्रयान – 3 चांद पर सोफ्ट लैंडिंग करेगा। आइये हम सभी ईश्वर से भारत के वैज्ञानिकों के इस मिशन की सफलता के लिए कामना करें 🙏 ।
Congratulations to ISRO,
Nice blog.