कांग्रेस सहित बहुतों को प्रभावित करेगा डान मुख्तार का निधन
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की असामयिक मौत कांग्रेस के लिए तो झटका है ही , इससे कहीं ज्यादा सोनिया गांधी परिवार को व्यक्तिगत झटका है । दरअसल मुख्तार और नेहरू परिवार के रिश्ते आज के नहीं बल्कि बहुत पुराने हैं। आजादी से पहले जब इस माफिया का परिवार विश्व इस्लामिक लड़ाई लड़ रहा था , जिसको भारत में खिलाफत आन्दोलन कहा गया, तब भी नेहरू और गांधी के इस परिवार से बेहद करीबी रिश्ते रहे। हालांकि उस दौर में इस परिवार के किसी भी सदस्य का माफियागिरी से दूर तक भी सम्बंधों का इतिहास नहीं मिलता। आजादी के भी काफी समय बाद जब इस परिवार ने आतंक की दुनिया में पैर जमाये तो इन दोनों परिवारों के रिश्ते और घनिष्ठ होते गये। हालांकि राजनीतिक संरक्षण के लिए इस परिवार के सदस्य सुविधा के हिसाब से अलग-अलग पार्टियों से जुड़ते गये । कम्यूनिस्ट पार्टी , सोशलिस्ट पार्टी सपा बसपा सहित कोई दल इनसे अछूता नहीं रहा। इस परिवार के लोगों ने चुनाव कहीं से भी और किसी भी पार्टी से लड़ा लेकिन नेहरू परिवार से रिश्तों की गर्माहट में कोई कमी नहीं आयी । इसी परिवार के सदस्य और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी जब दुनिया भर में भारत की छवि खराब करने में जुटे थे जैसा कि एनडीए के अनेक सहयोगी आरोप लगाते रहे हैं, तब भी सोनिया गांधी परिवार इनके साथ खड़ा था।
उत्तर प्रदेश में जब योगी आदित्यनाथ ने माफिया मुक्त प्रदेश के लिए अभियान छेड़ा तब सोनिया गांधी परिवार माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को बचाने के लिए सक्रिय हो गया। पंजाब में तब कांग्रेस की सरकार थी और एक रणनीति के तहत इस माफिया को पंजाब की एक जेल मे एक मामले में बंद कर दिया गया। जेल में सुविधाएं ऐसी कि पांच सितारा होटल भी उसके आगे फींका लगे । लेकिन यूपी सरकार ने कानूनी लड़ाई लड़ी और कांग्रेस सरकार एवं राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के पुरजोर विरोध के बाबजूद मुख्तार की हिरासत ली । पिछले काफी समय से मुख्तार यूपी की जेल में बंद था । जेल में उसे दिल का दौरा पड़ा, तत्काल अस्पताल ले जाया गया और डाक्टरों की निगरानी में रहा लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
उसकी मृत्यु से बहुत सारे नेता अनाथ हो गये । समय-समय पर अनेक पार्टियां और तमाम दलों के जो नेता इस परिवार के बाहुबल का राजनीतिक लाभ लेते रहे हैं वो सभी उसकी कमी महसूस करेंगें । खास बात यह रही है कि हर दौर में भाजपा और इस परिवार में छत्तीस का आंकड़ा रहा है । लेकिन कांग्रेस और राहुल गांधी परिवार के लिए यह विशेष क्षति है।