हिंदुत्व के विरोध में
राहुल गांधी इतने उत्तेजित क्यों?
वैसे तो आजादी के बाद से ही कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा रहा है लेकिन तब भी हिंदू विरोध को कांग्रेस ने अपने चरम तक नहीं पहुंचाया । कांग्रेस में काफी ऐसे तत्व रहे जो कांग्रेस नेतृत्व को हिंदू विरोधी रूख, एक सीमा से ज्यादा अपने के प्रति चेताते रहे । जवाहरलाल नेहरू का हिंदू विरोधी रूख किसी से छुपा हुआ नहीं था । सच है की जवाहरलाल नेहरू धीरे-धीरे भारत में हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहते थे या हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाना चाहते थे । भारत में अनेक कानून इसी दृष्टिकोण से बनाए गए कि हिंदुओं को कम लाभ हो । जिसका सबसे बड़ा उदाहरण राष्ट्रीय स्तर पर बनाया गया अल्पसंख्यक कानून है । अल्पसंख्यक कानून में राष्ट्रीय स्तर पर तय किया गया कि अल्पसंख्यक कौन होगा । परिणाम यह हुआ कि पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक होते हुए भी बहुसंख्यक माने जाते हैं और इसी तरह से नागालैंड , मिजोरम जैसे कई राज्य हैं जहां हिंदुओं की आबादी न के बराबर है लेकिन उसके बाद भी हिंदुओं को बहुसंख्यक माना जाता है और अल्पसंख्यक होने का सभी फायदा वहां के बहुसंख्यक समुदाय को दिया जाता है ।
इंदिरा गांधी का कार्यकाल ऐसा था जब हिंदुत्व विरोध को छिपाने की कोशिश की गई । जबकि राजीव गांधी के कार्यकाल में कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर कदम उठाने शुरू किया । लेकिन राजीव गांधी के दर्दनाक निधन के बाद जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली तो कांग्रेस का हिंदू विरोध लगातार बढ़ता गया । कांग्रेस के अनेक नेताओं ने जिनमें वीरप्पा मोइली और ऐ के एंटोनी जैसे नेता शामिल थे , उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को चेतावनी दी कि कांग्रेस को एक हद से ज्यादा हिंदू विरोधी रूख नहीं अपनाना चाहिए ।
राहुल गांधी एक ओर समय-समय पर मंदिरों में जाने का नाटक भी करते हैं लेकिन हिंदुओं को अपमानित करने का या हिंदुत्व का उपहास उड़ानें का कोई मौका नहीं छोड़ते । ताजा उदाहरण मुंबई की रैली है जिसमें राहुल गांधी ने कहा कि हिंदूत्व में जिस शक्ति की पूजा की जाती है , मेरी उससे लड़ाई है । मेरी लड़ाई नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से नहीं है। इसका मतलब बहुत साफ है कि राहुल गांधी का विरोध बीजेपी , आरएसएस या नरेंद्र मोदी से नहीं , अपितु हिंदू शक्ति से है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात को तत्काल चुनौती के रूप में लिया । उन्होंने एक बड़ी चुनावी रैली में पलटवार करते हुए राहुल गांधी को चुनौती दी कि यदि आपकी लड़ाई हिंदू शक्ति से है तो मैं हिंदू शक्ति का उपासक हुं और हिंदू शक्ति की जीत के लिए या हिंदू शक्ति की स्थापना के लिए या हिंदू शक्ति के अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी भी लगा दूंगा । उन्होंने बड़ी रैली को संबोधित करते हुए कहा हिंदू धर्म में नारी को शक्ति का प्रतीक माना गया है । हिंदू धर्म में देवियों की पूजा की जाती है । हिंदू धर्म में मां बहन बेटी एक पवित्र शब्द है और हर हिंदू इन्हें एक शक्ति के रूप में देखता है । उन्होंने हिंदू शक्ति को उखाड़ने की , राहुल गांधी की चुनौती को स्वीकार किया और चेतावनी दी कि वह ऐसा होने से रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं ।
बताया जाता है की ज्यादा समय नहीं बीता कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं को राहुल गांधी के रुख पर चिंता सताने लगी और उन्होंने तत्काल नेतृत्व के सामने अपनी चिंता व्यक्त की । उन्होंने राहुल गांधी से हिंदू विरोध में इतना उत्तेजित न होने की अपील की । उन्होंने चेतावनी दी कि यदि राहुल गांधी हिंदुत्व विरोध में इतने उत्तेजित हुए तो 2024 के चुनाव में कांग्रेस कि अब तक की सबसे बुरी गत हो सकती है । अंततः कांग्रेस बैक फुट पर आ गई । राहुल गांधी को तमाम नेताओं ने उनकी गलती का एहसास कराया । उसके बाद खुद राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के तमाम प्रवक्ता तरह-तरह की सफाई देने लगे । लेकिन तब तक बात देशभर में फैल चुकी थी । यह सोशल मीडिया का जमाना है । आप इधर बोलते हैं और उधर वह पूरे देश में पहुंच जाता है । पूरे देश में सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई । कांग्रेस की हर तरफ से निंदा हुई । सोशल मीडिया पर कांग्रेस समर्थक भी बचाव करते नजर आए और तरह-तरह की सफाई देते हुए नजर आए ।
हालांकि अब राहुल गांधी और तमाम कांग्रेस प्रवक्ता यह सफाई दे रहे हैं कि उनका हिंदू शक्ति से आशय ईडी , सीबीआई जैसी ताकतों से था । लेकिन उन्हें खुद पता होना चाहिए कि ईडी और सीबीआई का हिंदुत्व से क्या मतलब । ईडी , सीबीआई को हिंदू शक्ति नहीं माना जाता । हिंदू शक्ति देवियों को माना जाता है । हिंदू शक्ति महिलाओं को माना जाता है ।
चुनाव कौन जीतता है और कौन हारता है , इससे हमें कोई मतलब नहीं लेकिन सभी दलों से इतना जरुर कहना चाहूंगा एक मर्यादा का पालन करना सीखना चाहिए । किसी भी धर्म या मजहब को हमें चुनाव में नहीं घसीटना चाहिए और ना किसी की मान्यताओं की निंदा करी जानी चाहिए ।
ऐसा लगता है राहुल गांधी डीएमके के नेताओं से प्रभावित हो गए थे और जिस तरह से डीएमके के नेता हिंदू विरोध में पागल हुए जा रहे हैं , उससे राहुल गांधी को लगा कि शायद इस हिंदू विरोध से उन्हें केंद्र की सत्ता मिल जाएगी । राहुल गांधी को ऐसी नासमझियों से बचना चाहिए। कांग्रेस नेतृत्व को किसी समझदार व्यक्तित्व को राहुल गांधी के आसपास लगा देना चाहिए जिससे वह शेष चुनाव में इस तरह की अपमानजनक और नासमझ भाषा का इस्तेमाल न करें ।
कांग्रेस नेतृत्व को समझना होगा कि देश में आज भी हिंदू बहुसंख्यक हैं और यदि हिंदुओं को इस तरह से अपमानित किया जाएगा तो हिंदुओं को एकजुट होने से कोई रोक नहीं पाएगा । यह भी समझ लेना चाहिए कि भारत में लोकतंत्र उसी वक्त तक जिंदा है जिस वक्त तक हिंदू बहुसंख्यक हैं । जैसे ही हिंदू बहुलता कम होगी या कमजोर हो जाएगी , उसी क्षण भारत का लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा । राहुल गांधी और कांग्रेस को इस गंभीरता पर मंथन करना चाहिए और हिंदू विरोध से बाज आना चाहिए ।
आज की चर्चा यही तक । चुनाव में रोज-रोज नई-नई चर्चाएं जन्म लेंगी । उन चर्चाओं को लेकर फिर आपके सम्मुख आऊंगा ।
सुंदर विष्लेषण
thanks