अंबानी के घर शादी - संस्कार या तमाशा ?
भारत ही नहीं दुनिया के चंद धनाढ्यों में शामिल मुकेश अंबानी के दूसरे बेटे की शादी की प्री वेडिंग सेरेमनी पूरे देश और देश से बाहर एक ओर अपने भारी भरकम तामझाम तो दूसरी ओर उनके अपने सामाजिक रीति रिवाजों , संस्कारों और सादगी के लिए चर्चा में रही ।
इस प्री-वेडिंग सेरेमनी में कितना खर्चा हुआ यह सिर्फ चर्चाएं है , असलियत तो बस मुकेश अंबानी को ही पता है । समाज में इस संपूर्ण सेरेमनी को लेकर चर्चाएं बहुत रहीं । सोशल मीडिया ही नहीं समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक न्यूज़ चैनलों पर भी यह सेरेमनी चर्चा का विषय रही । यदि देखा जाए तो सामाजिक प्रतिक्रियाएं दो हिस्सों में बटीं दिखीं।
एक हिस्सा वह था जो मुकेश अंबानी द्वारा किए गए भारी भरकम कार्यक्रमों से नाराज था । उसे लगा कि यह मुकेश अंबानी द्वारा अपने धन का भद्दा प्रदर्शन है । हालांकि यह भी सच है कि ऐसा कहने वालों की समाज में उनकी अपनी छवि भी बहुत अच्छी नहीं रही है । आमतौर पर ऐसी प्रतिक्रिया देने वाले वे लोग ज्यादा थे जो भारत की संपन्नता से हमेशा चिढ़ते रहे हैं । उन्हें भारत की संपन्नता बुरी लगती है । उन्हें भारत की औद्योगिक संपन्नता बुरी लगती है । उन्हें आम भारतीयों की संपन्नता बुरी लगती है । वह देश के हर संपन्न नागरिक को देखकर चिढ़ते हैं और हमेशा नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं । ऐसे लोगों से मुकेश अंबानी के कार्यक्रम की आलोचना सुनना स्वाभाविक था । किसी ने इसे भौंडा प्रदर्शन कहा तो किसी ने इसे धन का तमाशा कहा । सुप्रीम कोर्ट के एक जाने माने वकील हैं जो हमेशा भारत विरोधी ताकतों और टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करते रहे हैं और जिन्होंने हमेशा दुनिया भर में उन तत्वों का समर्थन किया है जो भारत को तोड़ना चाहते हैं । उन्होंने अपने ट्वीट में मुकेश अंबानी की आलोचना की और मुकेश अंबानी के इस सम्पूर्ण कार्यक्रम को धन का तमाशा और भद्दा प्रदर्शन करार दिया । खास बात या मैं कहूं कि अच्छी बात यह है कि ऐसी नकारात्मक प्रतिक्रिया करने वाले लोग गिने चुने थे और इनमें से अधिकांश हमेशा से ही भारतीय उद्योगों , भारत की सम्पन्नता और सांस्कृतिक समरद्धता से नफरत करते रहे हैं । यह लोग वामपंथ और नक्सली आतंक के समर्थक रहे हैं या विदेशी उद्योगों के पैरोकार रहे हैं । यदि मुकेश अंबानी इसी पैसे को आतंकियों को हथियार खरीदने को दे देते या भारत तोड़ने वाली ताकतों को दे देते तो यही लोग मुकेश अंबानी की तारीफ करते नहीं थकते।
देश में दूसरी और बड़ी प्रतिक्रिया आम नागरिकों की ओर से आई । आम लोग मुकेश अंबानी के परिवार की सादगी से बेहद प्रभावित थे । सोशल मीडिया ऐसी प्रतिक्रियाओं से भरा था जहां अंबानी परिवार की सादगी की चर्चाएं थी । खुद मुकेश अंबानी द्वारा , उनके बेटे द्वारा अपने पैतृक गांव में सभी लोगों को बैठा कर सामूहिक भोजन कराना , अपने हाथ से खाना परोसना , छोटा हो या बड़ा , अमीर हो या गरीब , सबका कार्यक्रम स्थल पर हाथ जोड़कर अभिवादन और स्वागत करना आम भारतीयों को बहुत भाया। ऐसे दृश्यों ने आम भारतीयों को बहुत प्रभावित किया कि इतने अमीर होने के बाद भी वह अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं , अपने संस्कारों से जुड़े हुए हैं । सोशल मीडिया पर ऐसी प्रतिक्रिया बहुत थी कि हर भारतीय को मुकेश अंबानी से यह सीखना चाहिए कि धन कितना भी हो , हम कितनी भी ऊंचाई पर पहुंच जाएं लेकिन हमें अपने संस्कारों को , अपनी सादगी को , अपने नजदीकियों को और अपने गांव शहर वालों को भूलना नहीं चाहिए । उनकी अमीरी या गरीबी देखे बिना अपने कार्यक्रमों में उनको बुलाकर उनका स्वागत और सम्मान करना चाहिए ।
हालांकि शादी संभवत जुलाई में होगी अभी सिर्फ प्री वेडिंग सेरेमनी चल रही है मुकेश अंबानी ने एक और अपनी सादगी और संस्कारों का परिचय दिया तो दूसरी ओर , खुद को बड़ा भारी और बहुत महंगे कलाकार बताने वाले लोगों को अपने कार्यक्रमों में नचवा कर उनको उनकी औकात भी बता दी । रिहाना भी एक ऐसी कलाकार रही है जो कहती रही है कि भारत गरीबों का देश है इसलिए भारत में उसका कार्यक्रम होना मुश्किल है लेकिन मुकेश अंबानी ने उसको भी अपने कार्यक्रम में नचवाकर बता दिया कि भारत के अमीरों के यहां तुम्हारी औकात एक नाचने वाली की है । यही नहीं पिछले दिनों बॉलीवुड के एक कलाकार से जब एक पत्रकार ने पूछा कि तीनों खान एक साथ कब दिखाई देंगे तब उस कलाकार ने बड़े घमंड से कहा था किसी की इतनी औकात नहीं है कि तीनों को एक साथ बुला ले । आप बुला लो , चड्डी बनियान बिक जाएगी । पूरे देश और दुनिया ने देखा की मुकेश अंबानी के कार्यक्रम में वह तीनों एक साथ नाचते हुए दिखाई दिए उन्हें भी शायद अपनी औकात का एहसास हो गया होगा ।
मुकेश अंबानी के पहले बेटे की शादी भी देश और दुनिया में चर्चा का विषय रही थी और जब तक दूसरे बेटे की शादी होगी तब तक यह भी चर्चाओं में रहेगी । निश्चित रूप से देश के उस वर्ग को जिसके पास पर्याप्त धन है और जो उस धन के कारण समाज से और अपनी जड़ों से कटा हुआ है , उसको मुकेश अंबानी से सीखना चाहिए कि धन कितना भी हो लेकिन हमें अपने संस्कार और अपने लोगों के साथ मिलकर अपनी खुशियां बांटनी चाहिए । निश्चित रूप से अंबानी परिवार साधुवाद का हकदार है कि उन्होंने वेशुमार धन दौलत होने के बाद भी अपनी खुशियों में समाज के अमीर वर्ग को ही शामिल नहीं किया बल्कि अपने मूल गांव के लोगों से लेकर आम लोगों को भी पूर्ण सादगी और सम्मान के साथ शामिल किया
सच बात यह है कि यह मुकेश अंबानी द्वारा धन का तमाशा नहीं था । तमाशा उन लोगों को लग रहा था जो दूसरों को देखकर ईर्ष्या भाव से हमेशा ग्रसित रहते हैं । जो किसी को सुखी नहीं देखना चाहते । मुकेश अंबानी द्वारा अपने भारतीय और हिंदू संस्कारों का प्रदर्शन हर भारतीय को प्रेरित करेगा ।