क्या किसी गिरोह के चंगुल में इंडी एलायंस ??
समझ नहीं आता की कोई गिरोह है जो इंडी एलायंस के नेताओं की बुद्धि को हर रहा है या विनाश काले विपरीत बुद्धि के कारण इंडी एलायंस के नेताओं की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है कि वह हर मौके को खुद ही हाथ से गंवा देते हैं ।
22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण कांग्रेस सहित इंडी एलायंस के सभी दलों के नेताओं को दिया गया था लेकिन कांग्रेस सहित अधिकांश दलों ने इस निमंत्रण को ठुकरा दिया । इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि यदि समारोह में शामिल हुए तो मुसलमान वोट नाराज हो जाएगा और इन दलों का काफी नुकसान हो जाएगा ।
सभी को पता है इंडी एलायंस की बुनियाद के समय ही यह तय किया गया था कि भाजपा को हर सीट पर एक के मुकाबले एक उम्मीदवार खड़ा कर चुनौती दी जाए जिससे भाजपा को पराजित किया जा सके । स्वाभाविक है कि ऐसे में जिस मुसलमान को भी भाजपा को वोट नहीं देना है उसके सामने इंडी एलायंस को वोट देने के अलावा दूसरा रास्ता ही नहीं होता , यदि वह मोदी को पराजित करना चाहता है ।
यह समझ से बाहर है कि ऐसी स्थिति में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इन दलों को नुकसान क्या था ? सच पूछा जाए तो इन दलों को फायदा था । इन दलों के हिंदू कार्यकर्ता आम वोटर के पास जाकर यह कह सकते थे की अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हमारी पार्टी के लोग भी शामिल हुए और हम भी भगवान राम को अपना आराध्य मानते हैं । हो सकता है कुछ हिंदू वोट जो भाजपा का विरोधी है , वह यह सोचकर कि आखिर राम को कांग्रेस या इंडी एलायंस के और दल भी मानते हैं , अपना वोट इस एलायंस को दे देते। दूसरी ओर मुसलमानों के सामने मजबूरी थी और वह अपना वोट हर हालत में इंडी एलायंस को ही देते । स्वाभाविक है यदि इंडी एलायंस के लोग प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होते तो उनके कुछ वोट बढ़ने की संभावना ही थी । लेकिन घटने की संभावना नहीं थी । इंडी एलायंस के नेताओं ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार करना लाभ का सौदा समझा । आखिर लाभ हुआ किधर से ? कौन सा ऐसा वोट है जो आपको प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार करने के कारण मिलेगा ? मुस्लिम वोट तो आपको मिलना ही है । मुद्दा यह है जो हिंदू वोट आपको मिल सकता था वह भी नहीं मिलेगा । अयोध्या में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार आपके लिए लाभ का सौदा नहीं बल्कि नुकसान का सौदा है।
इतनी छोटी सी बात कांग्रेस या इंडी एलायंस के बड़े नेताओं को समझ में नहीं आई । जबकि इन्हीं दलों के आम कार्यकर्ता , अनेक विधायक और सांसद इस बात को महसूस कर रहे हैं । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने साफ कहा कि कांग्रेस ने निमंत्रण ठुकरा कर हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है और अपने वोट बैंक का नुकसान किया है । इसी तरह से गुजरात के दो कांग्रेस विधायकों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बहिष्कार को कांग्रेस हाई कमान की ऐतिहासिक गलती करार दिया है । यही नहीं प्रियंका वाड्रा के बेहद करीबी और खांटी कांग्रेसी आचार्य प्रमोद कृष्णन ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि पता नहीं किन लोगों ने कांग्रेस पर कब्जा कर लिया है जो कांग्रेस हाई कमान को उचित फैसला नहीं करने दे रहे । उन्होंने कांग्रेस हाई कमान से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की और हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करने की अपील की । उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की सलाह दी ।
कांग्रेस की तरह समाजवादी पार्टी भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होना चाहती । लेकिन अखिलेश यादव ने कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान नहीं किया वरन यह कहा कि उनको निमंत्रण मिला ही नहीं है । साथ ही यह भी कहा कि यदि कोई यह सिद्ध कर दे कि उनको निमंत्रण पत्र डाक द्वारा भेजा गया है और उसकी रसीद भी दिखा दे तो भी वह उसे निमंत्रण मान अगले कदम के बारे में सोचेंगे। उनके द्वारा ऐसा कहने के बाद विश्व हिंदू परिषद ने अखिलेश यादव को स्पीड पोस्ट से भेजे गए निमंत्रण पत्र की रसीद मीडिया में पोस्ट कर दी । अखिलेश यादव ने बिना समय गंवाए इस बात को स्वीकार कर लिया कि उन्हें निमंत्रण पत्र मिला है । उन्होंने बहिष्कार का ऐलान नहीं किया बरन निमंत्रण देने के लिए मंदिर ट्रस्ट के सर्वे सर्वा डॉक्टर चंपत राय जी को धन्यवाद दिया । साथ ही कहा कि वह प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद सपरिवार अयोध्या के दर्शन करने जाएंगे । निश्चित रूप से अखिलेश यादव का स्टैंड , कांग्रेस , लालू , ममता, नीतीश, स्टालिन , उद्धव और शरद पवार से बेहतर था
इससे सपा के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और वह हिंदू वोटो के मध्य यह दावा कर सकते हैं की अखिलेश यादव ने स्वयं अयोध्या जाकर दर्शन करने की बात कही है और उनका हिंदुओं के आराध्य भगवान राम में पूर्ण विश्वास है ।
कांग्रेस और इंडी एलायंस यदि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को स्वीकार कर लेते तो हिंदुओं के दिलों में जगह बनाने का उन्हें मौका मिल जाता , लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने यह मौका गंवा दिया । इसीलिए मुझे तो यह लगता है कि शायद कोई गिरोह है जिसने कांग्रेस सहित इन नेताओं के हाई कमान को अपने कब्जे में ले रखा है और वह इन पार्टियों को हिंदू विरोधी सिद्ध करने पर तुला हुआ है । या विनाश काले विपरीत बुद्धि , इनकी बुद्धि हर गई है और यह सही निर्णय लेने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं ।
आज की चर्चा यही तक । आगे फिर चर्चाओं के साथ आपके सम्मुख आऊंगा तब तक के लिए नमस्कार पढ़ते रहिए charchakavishay.com