कब तक चिढ़ते रहेंगे राम मंदिर विरोधी ?

अयोध्या में 22 जनवरी को जैसे-जैसे प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक आता जा रहा है , पूरे देश में वातावरण राममय होता जा रहा है । गली-गली , मोहल्ला मोहल्ला , नगर नगर , मंदिर मंदिर राम मंदिर  और 22 जनवरी के श्री राम जी के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारी की चर्चा है । आखिर हो भी क्यों न , साढ़े पांच सौ साल के संघर्ष और अथक प्रयासों के बाद यह शुभ घड़ी आई है। न जाने कितनी बार अनेक राजाओं, राम भक्तों और आक्रांताओं के मध्य खूनी संघर्ष हुआ है । लाखों हिन्दू और सिखों ने इस मंदिर को पाने के प्रयासों में अपनी जान गंवाई है। मंदिर को पाने के लिए रामभक्तों को बस आक्रांताओं से ही नहीं लड़ना पड़ा बल्कि आजाद भारत में भी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने बालों से जूझना पड़ा। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह सरकार ने किस तरह से कारसेवकों का कत्लेआम कराया यह बात आज की पीढ़ी की आंखोदेखी है।

सरकारों में अनेक राजनेता ऐसे भी रहे जो बंद कमरों की बैठक में तो राम जन्मभूमि पर हिंदुओं का हक स्वीकार करते थे लेकिन बाहर आकर मुस्लिम वोटों के डर से अपनी जुबान से मुकर जाया करते थे । कांग्रेस पार्टी का हमेशा यह रूख रहा कि अयोध्या पर हिंदु मुस्लिम संघर्ष होता रहे और उसे मुस्लिम वोट मिलता रहे । विशेष रूप से कांग्रेस पर सोनिया गांधी का प्रभुत्व जमने के बाद कांग्रेस प्रभु श्री राम और मंदिर विरोधी रूख पर जमी रही। पूर्व में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने भी मामले को आपसी समझ से निपटाने का प्रयास किया लेकिन उनके प्रयास नाकाफी रहे। केंद्र में जब चंद्रशेखर की सरकार बनी तो उन्होंने पूर्ण ईमानदारी से इस मामले को निपटाने का प्रयास किया। उस समय बाबरी आंदोलन के नेता रहे पूर्व विदेश सचिव सैयद शहाबुद्दीन भी इस झगड़े को आपसी समझ के आधार पर निपटाना चाहते थे , कहा तो यह भी जाता था कि उस समय सउदी अरब के बादशाह भी अप्रत्यक्ष रूप से बातचीत में शामिल थे। हिंदु और मुस्लिम दोनों पक्ष अयोध्या काशी और मथुरा विवाद सुलझाने के बिल्कुल निकट पहुंच गए थे । तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अथक प्रयासों से प्रस्ताव तैयार हो गया था लेकिन जैसे ही कांग्रेस को इसकी भनक लगी उसने चंद्रशेखर सरकार गिरा दी ताकि हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के बीच अयोध्या काशी और मथुरा पर समझौता न हो सके । सरकार गिर गई और वह प्रस्ताव वहीं का वहीं रह गया। इस तरह कांग्रेस हिंदू और मुस्लिम समुदाय के मध्य समझौते को रोकने में सफल हो गयी। उसके बाद दोनों पक्ष कभी बातचीत की मेज पर नहीं आये और कांग्रेस ने वकीलों की एक फौज खड़ी कर दी जिसका एक ही काम था , हिंदुओं को अपमानित करना, न्यायालय से हर संभव अड़ंगे लगवाना और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को किसी भी कीमत पर रोकना।

फिलहाल सबसे अच्छी बात यह है कि देश में कहीं पर भी इस मुद्दे पर कटुता का माहौल नहीं है । अधिकांश मुस्लिम समाज इस सच्चाई को स्वीकार कर रहा है कि अयोध्या का विवादित स्थल भगवान श्री राम की जन्म भूमि थी और वहां पर राम मंदिर बनाने में कुछ भी गलत नहीं है ।

देश में कुछ ऐसी भी ताकते हैं  जो भगवान श्री राम को व्यक्तिगत रूप से तो मानते हैं लेकिन उनको लगता है कि भगवान श्री राम का नाम लेने से मुसलमान नाराज हो जाएंगे । उनको लगता है की राम मंदिर के नाम से मुसलमानों को भड़काकर उनके  वोट और इस तरह से सत्ता प्राप्त कर सकते हैं । ऐसे लोग अपनी हरकतों से आज भी बाज नहीं आ रहे । ऐसे लोग आज भी प्रभु श्री राम के बारे में अनर्गल बयान दे रहे हैं।  सपा कांग्रेस राजद जद-नीतिश के लोग बयान दें तो दें हालत यह है शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के लोग भी ऐसी बयानबाजी में कूद पड़े हैं।

कुछ ऐसी भी ताकते हैं जो मूल रुप से ही हिंदू विरोधी हैं ,जैसे कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा या कुछ अन्य । स्वाभाविक है कि ऐसे लोग परेशान हैं कि आखिर अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर क्यों बन रहा है । वह कभी मुसलमान को भड़काने का प्रयास करते हैं तो कभी हिंदुओं को अपमानित करने का प्रयास करते हैं । लेकिन ऐसे लोग अब भली-भांति पहचाने जा चुके हैं । देश की अधिकांश जनता इन लोगों को कोई भाव नहीं देती और उनके बयान बस अखबारों की सुर्ख़ियों तक ही सीमित रहते हैं

धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस , राष्ट्रीय जनता दल , समाजवादी पार्टी , बहुजन समाज पार्टी , शरद पवार की नेशनल कांग्रेस पार्टी जैसे दल राम मंदिर के कार्यक्रम को लेकर परेशान हैं । इनको लगता है कि इससे चुनाव में भाजपा को लाभ होगा। इन पार्टियों के काफी नेताओं को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण भी दिया गया है । यह निमंत्रण इनसे न निगले बन रहा है और न उगले बन रहा है । इनको डर लग रहा है कि यदि यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो मुसलमान नाराज हो जाएंगे और दूसरी ओर डर यह है कि यदि शामिल नहीं होते हैं तो हिंदू नाराज हो जाएंगे ‌ ।  फिलहाल अभी ऐसा लगता है की ममता बनर्जी हो या अखिलेश यादव , शरद पवार हो या सोनिया गांधी , लालू यादव हों या मायावती , संभवतः यह सभी लोग 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे

ऐसा नहीं है की बस इन नेताओं में ही बेचैनी हैं । इस दौरान कुछ ऐसे हिंदू संतों के और एकाध शंकराचार्य के भी बयान ऐसे आए जिससे हिंदुओं में भारी नाराजगी है । सभी जानते हैं  कि काफी हिंदू मठ और अनेक शंकराचार्य राम मंदिर की लड़ाई , लड़ने के लिए कभी आगे नहीं आए  । इन्होंने हिंदुत्व के लिए भी कुछ नहीं किया बल्कि यह सिर्फ संपत्ति के विवादों में और सिंहासनों पर बैठकर अपनी व्यक्तिगत हैसियत चमकाने में लग रहे । अभी एक शंकराचार्य ने कहा कि वह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में क्या ताली बजाने जाएंगे लेकिन उन्होंने कभी यह नहीं बताया कि उन्होंने राम मंदिर संघर्ष के लिए क्या  किया ? आज जब राम मंदिर बन रहा है तों चाहते हैं कि वही सब कुछ कर्ताधर्ता बनें । इस तथ्य को झुठलाया नहीं जाया सकता कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , विश्व हिंदू परिषद , भारतीय जनता पार्टी , मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और लाखों रामभक्तों के जीवनदान को राम मंदिर निर्माण का पूरा श्रेय है ।  सच बात यह है की  इतना घटिया बयान देकर इन शंकराचार्य महोदय ने हिंदू समाज में अपनी भद पिटवाई है । सोशल मीडिया में लोग इन शंकराचार्य के लिए तमाम तरह के अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो स्वाभाविक है। निश्चित रूप से ऐसे  शंकराचार्य तिरस्कृत किए जाने चाहिए ।

पहले भी जब राम मंदिर के लिए आंदोलन चल रहा था तब भी आम मुसलमान राम मंदिर के खिलाफ नहीं था ।  लेकिन मुस्लिम राजनीति करने वाले लोग , फिर वह असदुद्दीन ओवैसी हों या सोनिया गांधी , या सपा और राजद के लोग , यह  मुसलमानो को हमेशा भड़काते रहे । अब जब उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद यह मंदिर बन रहा है , मुस्लिम समाज इन नेताओं की असलियत को पहचान रहा है ।

अयोध्या में भगवान श्री राम जन्मभूमि पर श्री राम मंदिर का निर्माण निश्चित रूप से  पूरे देश के लिए गर्व का विषय है ।  पूरे देश में दीपावली जैसा उत्सव मनाया जाना बनता है । प्रधानमंत्री ने खुद देशभर के लोगों से 22 जनवरी को अपने अपने घर और मंदिरों में राम ज्योति प्रज्ज्वलित करने और भजन कीर्तन करने  की अपील की है । अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बने और  हम स्वर्गीय अशोक सिंघल जी का नाम ना लें तो यह उनके साथ अन्याय होगा । उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राम मंदिर के निर्माण के लिए लगा दिया । आज वह हमारे बीच नहीं है लेकिन पूर्ण विश्वास है कि वह स्वर्ग में बैठकर राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देखेंगे।

मोदी सरकार और योगी सरकार को इस बात का श्रेय  है कि उन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर कि हिंदुओं की भावनाओं को साकार किया है ।  अयोध्या भारत ही नहीं दुनिया के कुछ उन चुनिंदा शहरों में बहुत जल्दी शामिल होगी जिसको देखने और घूमने की इच्छा दुनिया भर के लोगों में होगी । सही बात तो यह है अयोध्या न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी एक नया जीवनदान प्रदान करेगी । पूरे देश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। बस होटल उद्योग ही नहीं, छोटे छोटे हस्तशिल्पियों को भी बढ़ावा मिलेगा। योगी सरकार ने अयोध्या के विकास में पूरी ताकत लगा रखी है । यदि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार न होती तो शायद अयोध्या का इतना विकास ना हो पता । खुद मुख्यमंत्री योगी लगातार अयोध्या के डेवलपमेंट की मॉनिटरिंग करते हैं और लगातार अयोध्या जाकर पल-पल का अपडेट लेते हैं

आज की चर्चा यही तक । 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को आप भी देखिए हम भी देखेंगे , इस बीच जो भी नयी चर्चा जन्म लेगी  उसके साथ आपके सम्मुख फिर आऊंगा । पढ़ते रहिए चर्चा का charchakavishay.com

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