इंडी एलायंस - तू तू मैं मैं और बैठक खत्म
राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस समेत संपूर्ण विपक्ष की करारी हार के बाद आशा थी कि इंडिया एलियांस की अगली बैठक में गंभीरता से राजनीतिक मंथन होगा । मोदी सरकार को हराने के लिए किसी ठोस नतीजे पर गठबंधन पहुंचेगा । पिछली बैठकों में पीएम पद का चेहरा या गठबंधन के संयोजक के नाम को लगातार टाला जाता रहा है , उम्मीद थी कि इस बैठक में यह तय कर दिया जाएगा और मोदी सरकार के सामने एक चुनौती पेश की जाएगी । जब सभी नेता बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे थे तो हवाई अड्डे पर सब की बॉडी लैंग्वेज ऐसी थी मानो सब कुछ तय हो चुका हो बस घोषणा होनी बाकी हो । लालू यादव ने तो यहां तक कह दिया था की सीट शेयरिंग भी इसी बैठक में तय हो जाएगी और नया नाम और नया चेहरा घोषित कर दिया जाएगा ।
लेकिन बैठक में दूसरा ही नजारा था । सब के अपने-अपने स्वार्थ थे और सब अपने-अपने स्वार्थ को ध्यान में रखकर ही अपनी गोटियां चल रहे थे । लालू यादव चाहते हैं कि नीतीश कुमार को जल्द से जल्द कोई केंद्रीय जिम्मेदारी सौंप दी जाए और वह पटना को छोड़कर दिल्ली आ जाएं तथा पटना की राजगद्दी पर लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव विराजमान हो जाएं । दूसरी और ममता बनर्जी , केजरीवाल और उद्धव ठाकरे इस बात को लेकर चिंतित थे कि कांग्रेस की उखड़ती हुई हवा और राहुल गांधी की पप्पू छवि को देखते हुए गठबंधन की बागडोर किसी ऐसे व्यक्ति को सौंपी जाए जिस पर लोग विश्वास भी कर सकें और उस पर कोई दाग भी ना हो । साथ ही उसके नाम से किसी वोट बैंक पर भी दांव लगाया जा सके । ध्यान रहे बस राहुल गांधी ही नहीं , पूरा गांधी परिवार भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरा है और सभी जमानत पर चल रहे हैं । गठबंधन की बैठक से पहले ममता बनर्जी , अरविंद केजरीवाल और उद्धव ठाकरे की एक बैठक भी हुई जिसमें उन्होंने आपस में तय कर लिया कि इंडी एलायंस की बैठक में इन तीनों का क्या रुख होगा । कांग्रेस हमेशा की तरह हवा में तीर मार रही थी । उसके पास राहुल गांधी के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति ही नहीं है और वह फिर इस गठबंधन की कमान राहुल गांधी को सौंपना चाहती है।
सूत्र बताते हैं कि बैठक शुरू होने पर कांग्रेस पिछले तीन राज्यों में करारी हार पर कोई बात नहीं करना चाहती थी । वह चाहती थी एक लाइन का प्रस्ताव पास करके राहुल गांधी को गठबंधन का नेता घोषित कर दिया जाए लेकिन जैसे ही ममता बनर्जी को बोलने का मौका मिला उन्होंने पासा पलट दिया । वह राहुल गांधी की पप्पू छवि को लेकर बहुत चिंतित थीं । उन्होंने बैठक में प्रस्ताव रखा कि कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष श्रीमान खड़गे को पीएम पद का चेहरा घोषित कर दिया जाए । उनके प्रस्ताव का बैठक में अरविंद केजरीवाल और उद्धव ठाकरे ने समर्थन किया । बताया जाता है उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस पर अपनी सहमति प्रदान की । ममता के इस दाव से एक तरफ राहुल गांधी का पत्ता कट रहा था तो दूसरी ओर दलित वोट पर दांव था। बस यहीं से बैठक का माहौल बदल गया । सब एक दूसरे का चेहरा देखने लगे । एक तरफ कांग्रेस के लोगों के चेहरे पर तनाव था तो दूसरी तरफ लालू यादव और नीतीश कुमार के चेहरे तनाव से पूर्ण थे । यह बात कांग्रेस ही नहीं लालू यादव और नीतीश कुमार को चुभ गई । बताया जाता है की लालू यादव और ममता बनर्जी में बहस शुरू हो गई। । इसके बाद गठबंधन नेताओं में तू तू मैं मैं शुरू हो गई । लालू यादव किसी भी कीमत पर खड़गे के नाम पर सहमत नहीं थे , तो कांग्रेस भी चाहती थी कि खड़गे को पीएम पद का चेहरा घोषित न किया जाए । जबकि नीतीश कुमार तो पता नहीं कब से भावी पीएम का सपना संजोए बैठे हैं । उन्हें यह बहुत बुरा लगा कि उनके नाम पर कोई चर्चा नहीं हो रही । बताया जाता है कि तू तू मैं मैं से नाराज लालू यादव और नीतीश कुमार बैठक समाप्त होने से पहले ही निकल गये ।
बैठक में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कांग्रेस से बसपा के साथ संबंधों को लेकर सवाल शुरू किया । कांग्रेस इस पर खामोश रहना चाहती थी । वह अपना रूख स्पष्ट नहीं करना चाहती थी । यह बात सपा को नागवार लगी और अखिलेश यादव ने अपनी नाराजगी प्रकट कर दी । अखिलेश यादव ने बाद में पत्रकारों के सामने भी इस बात को दोहराया कि कांग्रेस बसपा के साथ अपने संबंधों को लेकर अपना रूप स्पष्ट करे ।
बात बिगड़ती देख खुद खड़गे ने मोर्चा संभाला । वह समझ चुके थे कि उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस ही उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करना चाहती , जबकि लालू यादव और नीतीश कुमार के सहमत होने का सबाल ही नहीं था । तब उन्होंने कहा कि अभी किसी को पीएम पद का चेहरा घोषित किए जाने की आवश्यकता नहीं है । आवश्यकता है चुनाव जीतने की । पहले चुनाव लड़ने की तैयारी करो , चुनाव लड़ो और जीत कर आओ फिर कौन पीएम होगा यह तय कर लिया जाएगा । किसी ने गंभीरता से इस बात पर मंथन नहीं किया कि जब गठबंधन का कोई नेता ही नहीं होगा तो जनता के बीच किसके चेहरे , किसके नाम और किसकी विश्वसनीयता के आधार पर वोट मांगा जाएगा । अनेक राजनीतिक पंडित पहले से ही यह महसूस कर रहे थे कि यह गठबंधन चुनाव से पहले ही बिखर जाएगा , वही होता सब दिख रहा है । बैठक समाप्त हो गई लेकिन बैठक में कोई ठोस फैसला ना हो सका । मोदी सरकार को उखाड़ने का सपना देखने वाले नेता आपस में तू तू मैं मैं करते रहे और दिल्ली के फाइव स्टार होटल में चाय नाश्ते और भोजन का आनंद लेते रहे । हां पत्रकारों के सामने भारत की गरीबी के नाटक का रोना रोने से नहीं चूके ।
समझ में नहीं आता कि अब जब चुनाव में कुछ ही दिन शेष है तब भी जब यह नेता आपस में एक होने को तैयार नहीं है तो आखिर कब एक होंगे । कब चुनाव के लिए सीट शेयरिंग की जाएगी । कब चेहरे को घोषित किया जाएगा और कब जनता के बीच जाया जाएगा । बताया जाता है बैठक से जाने से पूर्व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ-साफ चेतावनी दी कि यदि 31 दिसंबर तक सीट शेयरिंग पर फैसला नहीं हुआ तो वह अगली बैठक में शामिल नहीं होंगी और पश्चिम बंगाल में टीएमसी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी । कांग्रेस इस बात पर भी तैयार नहीं थी और खड़गे ने कहा की 31 दिसंबर कोई डेड लाइन नहीं है बल्कि जनवरी के दूसरे सप्ताह तक भी सीट शेयरिंग पर फैसला हो सकता है ।
कुल मिलाकर विपक्षी दलों के गठबंधन की यह बैठक मात्र खिचड़ी बैठक बनकर रह गई । ना किसी विषय पर मंथन हुआ , ना किसी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मसले पर विचार विमर्श हुआ , ना देश की किसी समस्या पर या देश के भविष्य को लेकर किसी चिंतन पर बात हुई । बस आपस में तू तू मैं मैं जरूर हुई और बैठक बिना किसी ठोस निर्णय समाप्त हो गई ।
विपक्षी दलों का जो हाल अभी है उसे देखकर ऐसा लगता है कि विपक्षी दलों को अंदर ही अंदर मालूम है की 2024 में मोदी सरकार भारी बहुमत से चुनाव जीत कर आएगी । इसीलिए वह मोदी को हराने के लिए ना तो कोई ठोस कार्रवाई करने को तैयार है और ना ही एक होकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं । ऐसा लगता है कि विपक्ष मोदी सरकार को वाक ओवर दे रहा है । यदि यही हालात रहे तो इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी सरकार 2019 से भी अधिक सीट जीत कर आ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा ।
आज चर्चा यही तक 🙏 आगे गठबंधन को लेकर या मोदी सरकार के विरोधियों में किसी नए गठबंधन को लेकर कोई चर्चा होती है तो उस चर्चा को लेकर आपके सामने फिर आएंगे , तब तक पढ़ते रहिए और अच्छा लगे तो लेख शेयर करते रहिए । Charchakavishay.com
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