मुख्यमंत्री चुने भाजपा ने - नींद उड़ी विपक्ष की
मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के चयन में भाजपा ने पूरे देश को एक बार फिर से चौका दिया है । विपक्ष नये मुख्यमंत्रियों के नामों से एक बार फिर चौंका और डरा हुआ है। अंततः यही माना जाने लगा है कि नरेंद्र मोदी और शाह क्या फैसला करते हैं , यह जान पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है।
न तो मध्यप्रदेश में किसी ने सोचा था डॉक्टर मोहन यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे और न छत्तीसगढ़ में किसी को यह कल्पना रही होगी कि विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री बनेंगे। जबकि राजस्थान में तो कोई उम्मीद ही नहीं कर सकता था कि भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री बनेंगे। खास बात यह है कि भजनलाल पहली बार विधायक चुने गए हैं और उसी बार उनको प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया ।
एक प्रदेश में पिछड़ा , दूसरे में आदिवासी और तीसरे में ब्राह्मण के चयन ने विपक्ष की नींद उड़ा दी है ।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव न केवल पिछड़े समाज से आते हैं बल्कि हिंदूवादी विचारधारा के स्पष्ट वक्ता भी हैं । उनके पिछले कुछ वीडियो जो उपलब्ध हैं , उनसे बहुत साफ है कि वह कानून व्यवस्था , महिला सुरक्षा और सामाजिक सदभाव से खिलवाड़ करने बालों से सम्भवतः समझौता करने वाले नहीं हैं । उधर विपक्ष में चर्चा थी कि मध्य प्रदेश में यदि कोंग्रेस और सपा का गठबंधन हो जाता तो परिस्थितियां कुछ और होतीं । इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस और सपा गठबंधन की संभावना जग रही थी । लेकिन डॉक्टर मोहन यादव के चयन से भाजपा ने लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस संभावित गठबंधन की हवा निकाल दी है ।
डॉक्टर मोहन यादव कैसे मुख्यमंत्री होंगे यह तो भविष्य बताएगा लेकिन भाजपा ने अनेक राज्यों में अपने नये चेहरों को कमान सौंपी है जिनमें से कुछ ने आशा से वेहतर प्रदर्शन किया है तो कुछ ने निराश भी किया। डाक्टर मोहन यादव का आकलन करने से पहले उनके प्रदर्शन की प्रतीक्षा करनी होगी।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक आदिवासी नेता के रूप में प्रदेश की जमीनी हकीकत को बदल कर रख दिया। अच्छे से अच्छे राजनीतिक पंडितों को यह उम्मीद थी कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल हो जाएगी लेकिन विष्णुदेव साय ने सभी के आकलन पर पानी फेर दिया। उन्होंने जिस प्रकार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कमियों को जनता के बीच जिस विश्वसनीय तरीके से उजागर किया उसने भूपेश बघेल को सत्ता से बाहर कर दिया । विष्णुदेव साय मूल रुप से आदिवासी हैं और भाजपा ने उनको मुख्यमंत्री वना कर न केवल छत्तीसगढ़ बरन मध्य प्रदेश और उड़ीसा के आदिवासी समुदाय पर भी दांव खेला है । भाजपा ने आदिवासी समुदाय को विश्वास दिलाने का प्रयास किया है कि भाजपा में सभी के हित सुरक्षित हैं।
उधर राजस्थान में महारानी वसुंधरा राजे सिंधिया ने अपना शक्ति प्रदर्शन कर अपने पैरों में खुद ही कुल्हाड़ी मार ली। वैसे भी राजस्थान में महारानी का विरोध बहुत था । पिछली बार भी महारानी की वजह से ही राजस्थान में नारा लगा था वसुंधरा तेरी खैर नहीं , मोदी तुझसे बैर नहीं । महारानी और गहलोत के बीच में एक जुगलबंदी थी । दोनों एक दूसरे की सरकार की आलोचना करने से परहेज करते थे । दोनों ने कभी एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा नहीं खोला। अशोक गहलोत के पूरे पांच साल के कार्यकाल में महारानी अपने महल में आराम फरमाती रहीं , जबकि शेष भाजपा के नेता और कार्यकर्ता गहलोत सरकार से सड़कों पर संघर्ष करते रहे। भाजपा के कार्यकर्ता ही नहीं, सरकार के मंत्री सचिन पायलट भी सरकार के विरुद्ध संघर्ष करते दिखे। अब जब भाजपा को बहुमत मिला , रानी सक्रिय हो गयीं । उनकी सक्रियता प्रदेश में सभी को चुभ रही थी। अंततः आलाकमान ने महारानी जैसी पुरानी नेता को घर बैठा दिया और पहली बार विधायक चुने गए भजनलाल शर्मा को राजस्थान की कमान सौंप दी। भाजपा ने यहां पर भी दो उपमुख्यमंत्री चुने , एक राजपूत समाज से तो दूसरा दलित समाज से।
भाजपा ने जिस तरह से और जिस प्रकार से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री चुने हैं, उससे लगता है कि भाजपा 2024 नहीं 2029 की तैयारी कर रही है । ऐसा लगता है कि अब भाजपा आलाकमान यह मान चुका है कि 2024 भाजपा का है और ऐसा लगता भी है । कांग्रेस पस्त हो चुकी है और इंडी एलायंस सिर्फ कागजों तक सीमित है । लेकिन फिर भी भाजपा हाईकमान को 2024 के लिए भी चौकन्ना रहना चाहिए । हालांकि अब जमीनी हकीकत यही है कि 2024 में भाजपा का मुकाबला किसी से नहीं है । सच यह है भाजपा के मुख्यमंत्री चयन ने विपक्ष की एक बार फिर नींद उड़ा दी है और लगता नहीं कि लोकसभा चुनाव से पहले वो इसकी कोई काट ढूंढ पायेगा।
आज की चर्चा यहीं तक , आगे भी चर्चा करते रहेंगे । तब तक के लिए आप पढ़ते रहिए charchakavishay.com .
Shandar
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आप की बात मे दम है, कि मोहन यादव को बनाकर up बिहार हरियाणा मध्य प्रदेश आदि यादव गण में क्षेत्रीय पार्टियों की नींद हराम कर दी, छत्तीसगढ़ से आदिवासी समाज का दिल जीतने की कोशिश की है , यह समाज कांग्रेस का परंपरागत रूप से वोट बैंक है,हा राजस्थान से पूरे देश के खासकर दक्षिण भारत में ब्राह्मण समाज को मेसेज भेजा है कि क्षेत्रीय पार्टियों को छोड़ कर हमारे साथ आओ हम आपको ऐसा ही सम्मान देना चाहते है,🙏