विपक्ष ने ली राहत की सांस
संसद का विशेष सत्र समाप्त होते ही संपूर्ण विपक्ष ने चैन की सांस ली । दरअसल जब मुंबई में विरोधी दलों की बैठक चल रही थी उस समय मोदी सरकार द्वारा संसद के विशेष सत्र को आहुत करने की घोषणा ने संपूर्ण विपक्ष को बेचैन कर दिया था । संपूर्ण विपक्ष ही क्यों , पूरे देश में नई-नई चर्चाओं ने जन्म ले लिया था ।
आपको याद होगा हमने भी अपने ब्लॉग में भिन्न-भिन्न चर्चाओं पर बात करी थी । लेकिन लिखा था कि मोदी सरकार के बारे में पूरे देश में किसी के लिए भी यह अनुमान लगाना कठिन है कि वह क्या करने जा रही है ।
जब सरकार ने सदन का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा करी तब विपक्ष ही नहीं देशभर को यह उम्मीद थी कि यह सरकार कुछ ऐसा करेगी जिससे विपक्ष के सारे दांव पेच विफल हो जाएंगे और चुनाव का पांसा पलटने का पुरजोर प्रयास होगा ।
लेकिन मोदी के मन में तो कुछ और ही था । मोदी की इच्छा थी कि जब भारत का नया सदन अपना पहला सत्र पूरा करें तो वह सत्र ऐतिहासिक हो और सर्वसम्मति से कोई ऐसा फैसला हो जो ऐतिहासिक हो ।
महिला आरक्षण बहुत लंबे समय से प्रतीक्षारत था ।सबसे पहले 1971 में एक संसदीय समिति बनी जिसने अपनी रिपोर्ट 1974 में पेश की । इस बैठक की कार्रवाई में यह दर्ज है कि तत्कालीन भारतीय जनसंघ ने महिलाओं को संवैधानिक गारंटी दिए जाने की बात कही थी ।
फिर लम्बे समय बाद कांग्रेस की पीवी नरसिंह राव सरकार ने महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में आरक्षण की पहल करी । लेकिन विचार ज्यादा आगे न बढ़ सका । फिर राजीव गांधी ने भी अनमने मन से महिला आरक्षण का सोचा लेकिन असफल रहे । इसके पश्चात अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने फिर बिल पेश किया , लेकिन खुद एनडीए के अंदर इसका विरोध हुआ । सदन में बिल की कॉपियों को फाड़ दिया गया और अटल बिहारी वाजपेई का प्रयास भी असफल हो गया । इसके पश्चात मनमोहन सिंह सरकार भी आरक्षण का बिल लेकर आई लेकिन इस बार यूपीए के अंदर ही इसका विरोध हुआ और अंततः महिला आरक्षण बिल पास नहीं हो सका ।
नरेंद्र मोदी की कार्यशैली से सब परिचित हैं । वह जिस काम को करने की ठान लेते हैं उसके लिए जी जान लगा देते हैं और जो कुछ भी आवश्यक हो वह करते हैं । उन्होंने संसद के पहले सत्र में देश की नारी शक्ति का सम्मान करते हुए लोकसभा राज्यसभा और विधानसभाओं में नारी शक्ति को आरक्षण दे नये संसद भवन के पहले सत्र को ऐतिहासिक बनाने की ठानी। उन्होंने बिना किसी हो हल्ले के नारी शक्ति वंदन बिल को पास कराने की अंदर ही अंदर पूरी तैयारी कर ली । अचानक ही संसद का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया । चूंकि 2024 का लोकसभा चुनाव और उससे पहले कुछ राज्यों का विधानसभा का चुनाव सिर पर है तो स्वाभाविक है नई-नई चर्चाओं ने जन्म लिया । विपक्ष की तो मानो सांस ही रुक गई थी ।
विपक्ष जानता है कि मोदी चौंकाने वाले फैसले करते हैं । उसे डर लगा कि कोई ऐसा फैसला आने वाला है जिससे विपक्ष की राह मुश्किल हो जाएगी । इसलिए विभिन्न आशंकाओं को लेकर , विपक्ष के तमाम दलों ने विशेष सत्र बुलाने के लिए सरकार की आलोचना शुरू कर दी । लेकिन मोदी सरकार विचलित नहीं हुई, क्योंकि वह एक ऐसा काम करने जा रहे थी जिसके बारे में उसे मालूम था कि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी को इस बिल को नकारना चुनाव में बहुत महंगा पड़ेगा और वही हुआ ।
प्रधानमंत्री ने संसद में बिल पेश करते हुए सभी दलों से अपील करी कि मैं चाहता हूं कि नई सदन की शुरुआत ऐतिहासिक फैसले से हो । महिलाओं को आरक्षण लंबे समय से लंबित है , मैं सभी राजनीतिक दलों से सहयोग मांगता हूं और उनसे अपील करता हूं कि वह नए संसद भवन को ऐतिहासिक बनाने के लिए संसद के पहले सत्र में सर्वसम्मति से पहला फैसला करें । उनकी अपील रंग लाई , विभिन्न दलों ने संसद में अपने भाषणों में इधर-उधर की टोका टाकी तो दिखाई लेकिन नारी शक्ति के वोटो के सामने खुद को असहाय महसूस किया और अपने कुछ संशोधन प्रस्ताव के बावजूद नारी वंदन अधिनियम को सर्वसम्मति से पास कर दिया ।
अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा । महत्वपूर्ण बात यह है की 2024 के चुनाव में या निकट ही होने वाले विधानसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं होगा । संभावना यह है की 2029 के चुनाव में यह आरक्षण लागू होगा । तात्कालिक रूप से मुझे नहीं लगता कि इस बिल के पास होने से भाजपा को वोटो का कोई फायदा होगा । हां यदि विरोधी दल बिल को पास नहीं होने देते तो उनको नुकसान अवश्य होता । यही कारण है कि कांग्रेस सहित सभी दलों ने बिल का सर्वसम्मति से समर्थन किया और इस बिल को पास करते ही विशेष सत्र पूर्ण हो गया । विपक्ष ने भी राहत की सांस ली ।
हालांकि संसद का सत्र समाप्त होते-होते भारत और कनाडा के रिश्तों में अचानक से तल्खी आ गयी । पिछले काफी समय से जिस तरह से पाकिस्तान भारत विरोधी तत्वों को हवा देता रहा है कनाडा की जस्टिन ट्रुडो सरकार इस तरह से भारत विरोधी तत्वों को हवा दे रही है । लेकिन कनाडा की सरकार यह भूल रही है कि भारत में इस समय जो प्रधानमंत्री है वह अपने 56 इंची सीने के लिए जाना जाता है । ईंट की बात छोड़िए , वह कंकड़ का जवाब भी पत्थर से देता है । इसीलिए जस्टिन ट्रुडो जब जी 20 सम्मेलन में भाग लेने भारत आए , भारत सरकार में बेहद कड़े शब्दों में उन्हें अपना संदेश सुना दिया । संदेश कितना कड़वा रहा होगा और जस्टिन ट्रुडो को कितनी शर्मिंदगी महसूस हुई होगी इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि कनाडा वापस पहुंचते ही जस्टिन सरकार ने भारत के खिलाफ एक्शन ले लिया । भारत ने पलक झपकते ही जस्टिन ट्रूडो सरकार के बार पर पलटवार किया । हमने साफ-साफ एहसास दिला दिया कि भारत विरोधी गतिविधियां दुनिया के किसी भी कोने में वर्दाश्त नहीं की जायेंगी।
फिलहाल ऐसा लगता है इस मसले पर बात दूर तक जाएगी और काफी कुछ नया घटित हो सकता है ।
आज की चर्चा को यही विराम देते हुए आगे भारत कनाडा को लेकर या किसी अन्य घटनाक्रम को लेकर जो भी नयी चर्चाएं होंगी उनको लेकर आपके सामने फिर आऊंगा और चर्चाओं पर चर्चा करूंगा तब तक के लिए नमस्कार ।