G20 - सफल आयोजन - गौरव और जलन के क्षण
बहु प्रतीक्षित G20 सम्मेलन अंततः संपन्न हो गया । यह सम्मेलन 9 और 10 सितंबर 2 दिन चला । पीएम मोदी ने G20 जो अब G-21 हो गया है उसकी अध्यक्षता आधिकारिक रूप से ब्राजील को सौंप दी।
यह सम्मेलन भारत में भी चर्चाओं के केंद्र में था । विपक्ष के लोग और कुछ विदेशी मदद प्राप्त करने वाले पत्रकार के रूप में न्यूज ट्रेडर्स लगातार यह भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे थे कि G20 सम्मेलन असफल हो जाएगा और यह बिना किसी घोषणा के समाप्त होगा । लेकिन भारतीय कूटनीति की या कहूं कि भारत की विदेश नीति की यह जीत थी कि G20 शिखर सम्मेलन में सभी नेताओं में एक साझा घोषणा पत्र पर सहमति बन गई और साझा घोषणा पत्र को जारी किया गया । लगभग 200 घंटे की लगातार बातचीत के बाद साझा घोषणा पत्र तैयार किया गया । विश्व मीडिया ने भारत द्वारा सफल आयोजन और एक साझा घोषड़ापत्र को सशक्त भारत की कूटनीतिक जीत बताया और भारत की प्रशंसा की ।
इस घोषणा पत्र में रूस यूक्रेन युद्ध पर किसी विवादास्पद बयान से बचा गया । यूक्रेन युद्ध पर भारत का रूख कई देशों को पसंद नहीं आता था। भारत की स्थिति पर ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने कहा यह उनका काम नहीं है कि वो भारत को बतायें कि विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारत कैसा रुख अपनाये । दिल्ली घोषणापत्र में सभी देशों से किसी भी प्रकार के क्षेत्रीय अधिग्रहण के लिए बल प्रयोग से बचने की अपील की गयी । हालांकि इस मुद्दे पर किसी का नाम नहीं लिया गया । पिछले सम्मेलन में इस मुद्दे पर रूस की आलोचना की गयी थी लेकिन इस बार रूस का नाम नहीं लिया गया । इस पर सहमति बनाने में सबसे ज्यादा समय खर्च हुआ। भारत के इस प्रयास से रूस बहुत खुश हुआ और उसने भारत और मोदी की प्रशंसा करी ।
कई देशों में आपसी समझौते हुए । सम्मेलन में भारत मध्य पूर्व यूरोप गलियारे की भी घोषणा हुई । इसे चीन की विवादास्पद बीआरआई परियोजना की काट के रूप में देखा जा रहा है । इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि व्यापार में शिपिंग समय और लागत में कमी आयेगी। इस परियोजना के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जार्डन और इजरायल से होते हुए भारत से यूरोप तक के रेलवे मार्ग और बंदरगाहों को एकीकृत किया जायेगा।
भारत के एक अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव ग्लोबल बायोफ्यूल अलांयस को स्वीकार कर लिया गया। बायोफ्यूल , पेड़ पौधों , अनाज, शैवाल , भूसी और वेस्ट फूड इत्यादि से बनता है और इसमें कार्बन की मात्रा कम होती है ।
भारत और अमेरिका के मध्य 6 जी टेक्नोलॉजी को डेवलप करने पर भी सहमति बनी। यही नहीं अमेरिका ने भारत द्वारा मांगे जा रहे अत्याधुनिक ड्रोन को भी देने पर सहमति प्रदान कर दी ।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर अपने चंद्रयान तीन से प्राप्त डाटा को G20 के सभी देशों को साझा करने का ऐलान किया जिसका जोरदार स्वागत किया गया।
इस घोषणा पत्र का जारी होना भारत की उस पत्रकार लॉबी के ऊपर तमाचा था जो भारत की सफलता देखना ही नहीं चाहती और लगातार यह अफवाह उड़ा रही थी कि सम्मेलन बिना किसी साझा सहमति के समाप्त हो जाएगा । सहमति पत्र जारी होने से इस तथाकथित वर्ग में निराशा थी जबकि देश भर में बालीवुड से लेकर आम भारतीय इस विश्वस्तरीय सफल आयोजन को लेकर गौरवान्वित महसूस कर रहा था ।
भारत चाहता था कि अफ्रीकी यूनियन को भी G20 सम्मेलन में शामिल कर लिया जाए । इस पर सभी देशों ने अपनी सहमति प्रदान कर दी और प्रधानमंत्री मोदी ने अफ्रीकी यूनियन को 21 वे सदस्य के रूप में स्वीकार करने का ऐलान करते हुए अफ्रीकी यूनियन के प्रतिनिधि को गले लगाया।
सम्मेलन की समाप्ति पर प्रधानमंत्री मोदी ने अतिथियों को जो गिफ्ट हैंपर दिये उसमें हस्तनिर्मित कृतियां, दार्जिलिंग और नीलगिरी की चाय , लकड़ी से बने संदूक , कन्नौज का इत्र , कशमीरी पश्मीना शाल, अराकू काफी, शहद इत्यादि शामिल थे।
इस शानदार और सफल आयोजन से भारत ने विश्व भर में खुद को एक बार फिर प्रतिस्थापित कर हर भारतीय नागरिक को गौरवान्वित महसूस करने का सुअवसर प्रदान किया।
आज चर्चा यहीं तक । फिलहाल देश की बढ़ती शान से गौरव महसूस करने बाले गौरव महसूस करें और जलने बाले जलन महसूस करते रहें आखिर उन्हें विदेशी चंदों का ऋण जो चुकाना है ।
आगे फिर नयी चर्चाओं के साथ आपसे मुलाकात होगी । पढ़ते रहिए charchakavishay.com