विपक्ष की ओर से सनातन धर्म पर हमले क्यों ???
2024 का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है , राजनीतिक माहौल में कड़वाहट बढ़ती जा रही है । विपक्ष की ओर से सनातन धर्म को तेजी से निशाना बनाया जा रहा है । सनातन पर हमले की शुरुआत समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गई । समाजवादी पार्टी की ओर से इसका खंडन करने के बजाय , सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से स्वामी प्रसाद मौर्य से सहमति जताई गई । हालांकि सपा नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव उनकी राय से सहमत नहीं दिखे और उन्होंने सनातन पर हमले को स्वामी प्रसाद मौर्य की निजी राय बता दिया । इसके पश्चात अखिलेश यादव के रूख में भी कुछ नरमी आई और वह स्वामी प्रसाद मौर्य पर किए जा रहे बयानों से कुछ असहज दिखाई दिए । विपक्षी दलों की बेंगलुरु बैठक में जब विपक्षी गठबंधन को नया नाम आईएनडीआईए दिया गया , उसके बाद से विभिन्न विपक्षी दलों की ओर से सनातन पर लगातार हमले किए जा रहे हैं । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक ने सनातन पर हमला किया । कांग्रेस ने उनके बयान से दूरी नहीं बनाई और मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी उनके बयान से दूरी नहीं बनाई । वह अपने पुत्र की बात से सहमत लगे । इसके पश्चात अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के पुत्र उदय निधि ने सनातन धर्म पर जबरदस्त हमला बोला । इस हमले को कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के नेताओं ने पुरजोर समर्थन दिया । कांग्रेस सहित किसी भी विपक्षी दल ने उदय के बयान का विरोध नहीं किया और ना ही उनके बयान से असहमति जताई । इसके पश्चात बिहार में शिक्षा विभाग की ओर से छुट्टियों की एक लिस्ट जारी की गई और हिंदू त्योहार की काफी छुट्टियां रद्द कर दी गई । हालांकि अब खबर आ रही है कि शायद उस लिस्ट को रद्द कर दिया गया है ।
एक बड़ा प्रश्न यह है कि विपक्षी गठबंधन की ओर से सनातन धर्म पर हमला क्यों ? यह हमला किस समुदाय को खुश करने के लिए किया जा रहा है ? क्या विपक्ष बिना हिंदू वोट के चुनाव जीत जायेगा ?आमतौर पर यह माना जाता है कि भारत के मुसलमान भाजपा और मोदी के विरोधी हैं । केंद्रीय चुनाव में वह उसी को वोट देंगे जो मोदी और भाजपा को या उसके किसी साथी को हराएगा । तब प्रश्न यह उठता है कि जब मुसलमान पहले से ही आपके साथ है तो सनातन धर्म पर हमला करने से विपक्षी दलों को कौन से नये वोट बैंक का फायदा होगा ?
समझ में नहीं आता कि यह विपक्षी दलों की रणनीतिक चूक है या रणनीति है ?
इस रणनीति से कांग्रेस के वरिष्ठ नेहरूवादी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम खासे नाराज नजर आते हैं। वह कांग्रेस नेतृत्व को इस रणनीतिक चूक के प्रति बड़ी सक्रियता से आगाह कर रहे हैं।
विपक्ष की इस रणनीति पर मंथन करते समय विचार आता है कि भाजपा लगातार यह दावा करती रही है कि उसे मुसलमानों के एक छोटे से हिस्से का लगातार वोट मिल रहा है । आंकड़े भी यह बात कह रहे हैं कि कहीं ना कहीं मुसलमान समुदाय के एक वर्ग में भाजपा के लिए अपनापन है । उत्तर प्रदेश की रामपुर जैसी मुस्लिम बहुल सीट पर भाजपा की जीत भी इस ओर इशारा करती है । भाजपा द्वारा तीन तलाक को खत्म करना मुस्लिम महिलाओं को बहुत पसंद आया । आंकड़ेबाजों ने माना कि मुस्लिम महिलाओं ने पर्दे में जाकर चुपचाप कमल को वोट दिया । अब भाजपा ने पसमांदा मुसलमानो का एक नया दाव खेला है । साथ ही सबका साथ सबके विकास के अंतर्गत गरीबों के लिए चलाई गई स्कीमों में जो मुस्लिम समुदाय लाभान्वित हुआ है , भाजपा की उन पर निगाह है । भाजपा का मानना है की 2024 के चुनाव में मुस्लिम महिलाओं के साथ-साथ गरीबी सहायता स्कीम के लाभान्वित मुसलमान और पसमांदा मुसलमानो का वोट बीजेपी को मिलेगा ।
ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या विपक्ष को भी यही आशंका है कि मुस्लिम वोट में बिखराव होगा और मुस्लिम वोटो का एक हिस्सा भाजपा को जा सकता है । और उस हिस्से को रोकने के लिए ही विपक्षी दल सनातन धर्म पर हमला कर रहे हैं और लगातार हिंदुओं को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं ।
पहले हमेशा यह माना जाता था की अनेक पार्टियां हिंदुओं को सिर्फ इसलिए गालियां देती है या उनको नजरअंदाज करती है कि ऐसा करने से उन्हें मुस्लिम वोट मिल जाता है । उस समय विपक्षी दलों में बिखराव था तो मुस्लिम वोट को अपनी ओर खींचने के लिए हिंदुओं को अपमानित करने की उनमें आपस में प्रतियोगिता चलती थी । आज विपक्ष एकजुट है स्वाभाविक है कि मुस्लिम वोट संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार को ही जाएगा । लेकिन उसके बाद भी विपक्ष द्वारा सनातन पर हमला और हिंदुत्व पर हमला यह बताता है कि कहीं ना कहीं विपक्ष को यह विश्वास है कि बीजेपी मुस्लिम वोट भी लेकर जाएगी ।
सवाल है कि एक ओर यदि मुसलमान वोटो का भी एक हिस्सा भाजपा ले लेगी और दूसरी ओर आपके द्वारा हिंदुओं पर और सनातन पर हमला करने से स्वाभाविक रूप से हिंदुओं का वोट जो आपको मिलता था उसमें भी कुछ कमी आ जायेगी तो आपकी जीत की संभावना कहां से बनती है ???
आखिर विपक्ष इतनी बड़ी रणनीतिक चूक क्यों कर रहा है ? भले ही मुस्लिम समुदाय के एक हिस्से का वोट भाजपा ले जाए तब भी उसको सनातन पर और हिंदुत्व पर हमला नहीं करना चाहिए । ऐसा करने से विपक्ष के वोट प्रतिशत में निश्चित रूप से कमी आएगी और 2024 में चुनाव जीतने का उनका सपना , सपना ही रह जाएगा ।
आखिर वह कौन है जो विपक्ष की रणनीति इस तरीके से बना रहा है ? कहीं ऐसा तो नहीं है कि विपक्ष का जो थिंक टैंक रणनीति बना रहा है उसमें बीजेपी के थिंक टैंक ने सेंध लगा दी हो और वह विपक्ष में रहकर भी वह विपक्ष को नुकसान पहुंचा रहा हो । विपक्ष को इस बात पर ध्यान देना चाहिए । सनातन धर्म पर हमले बंद करने चाहिए । हिंदुओं को अपमानित करने का प्रयास खत्म करना चाहिए । स्वामी प्रसाद मौर्य , प्रियांक खड़गे , उदय निधि जैसों का विपक्ष को विरोध करना चाहिए । इससे हिंदुओं में उनकी स्वीकार्यता में कुछ बढ़ोतरी ही होगी , कमी नहीं आएगी ।
वैसे तो चुनाव विपक्ष को लड़ना है या सत्ता पक्ष को लड़ना है । वह जाने उनकी रणनीति क्या होगी लेकिन विपक्ष रणनीतिक रूप से या कहूं मानसिक रूप से दिवालिया नजर आ रहा है । उसके पास एक सही थिंक टैंक की कमी है जो यह नहीं समझ पा रहा की किस तरीके से वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी होगी और किन कदमों को उठाने से हमारे वोट बैंक में और कमी आएगी ।
विपक्ष द्वारा सनातन पर जितने हमले किए जाएंगे हिंदुत्व पर जितने हमले किए जाएंगे विपक्ष का वोट भाजपा की ओर खिसकता चला जाएगा और भाजपा का वोट शेयर काफी बढ़ जाएगा । ऐसी स्थिति में 300 छोड़िए भाजपा 350 तक भी चली जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा । इसलिए विपक्ष अपनी रणनीति पर गंभीरता से विचार करें अभी तो ऐसा ही लग रहा है कि विपक्ष शायद भाजपा की सीटें बढ़ाने की व्यवस्था खुद कर रहा है ।
चर्चाओं के स्तंभ में आज की चर्चा विपक्ष की इसी रणनीति तक ।
आगे फिर नई चर्चाओं के साथ आपके सम्मुख आऊंगा । ब्लॉग पढ़ते रहिए , नई-नई चर्चाओं से अवगत होते रहिए ।
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