2024 की तैयारियां पटना से शिमला
यूं तो 2024 के लोकसभा फाइनल से पहले विधानसभाओं के सेमीफाइनल खेले जाएंगे लेकिन पक्ष और विपक्ष ने 2024 के लिए फील्डिंग सजानी शुरू कर दी है। विपक्ष ने फील्डिंग सजाने के लिए पहली बैठक बड़ी तैयारियों के साथ पटना में थी लेकिन शायद शुभ मुहूर्त देखना भूल गए या देखने में गलती कर दी । बैठक के अंदर की जो खबरें छन छन कर बाहर आ रही हैं वह विपक्ष की एकता के दावों को खोखला साबित कर ही है । यही नहीं बैठक के बाद जिस तरह से प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई उसका नजारा भी बहुत अच्छा नहीं था ।
बहुत साफ दिख रहा था कि ममता बनर्जी हावी होने की कोशिश कर रही थी । तो दूसरी ओर लालू यादव अपने व्यंग वालों से कांग्रेस के राहुल गांधी को इशारा कर रहे थे कि दूल्हा तुम बनो हम सब बराती रहेंगे । जबकि प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस की चुप्पी उसकी असहजता को बयां कर रही थी।
सूत्र बताते हैं कि बैठक के शुरू होते ही नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और केजरीवाल में तू तू मैं मैं हो गई । उमर अब्दुल्ला ने 370 पर केजरीवाल द्वारा केंद्र का समर्थन करने का आरोप लगाया , उनका कहना था कि जब आपने 370 पर हमें समर्थन नहीं दिया तो हम अध्यादेश पर आपके साथ क्यों आयें । वही कांग्रेस ने साफ कर दिया कि अध्यादेश का समर्थन या विरोध पार्लियामेंट्री अफेयर्स है और उसका आज की मीटिंग से कोई लेना देना नहीं है । पार्लियामेंट्री अफेयर्स पर बात पार्लियामेंट्री अफेयर्स की मीटिंग में होगी ।
बताया जाता है जब केजरीवाल ने इसी मीटिंग में कांग्रेस से समर्थन का वायदा मांगा तो एक कांग्रेसी नेता ने स्पष्ट कह दिया कि कनपटी पर गन रखकर आप हम से समर्थन नहीं ले सकते । इशारा बहुत साफ था कि कांग्रेस दिल्ली के अध्यादेश पर अभी अपना रूख स्पष्ट नहीं करना चाहती । साथ ही वह आप पार्टी को लेकर बहुत गंभीर नहीं है । कांग्रेस के इस रूख के चलते, बैठक के तत्काल बाद आप के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार कर दिया और वह अपनी अपनी गाड़ियों से रवाना हो गए । खास बात यह रही कि वहां किसी भी दल ने आप के नेताओं को ना तो मनाने की कोशिश की , और न रोकने की कोशिश की । पटना की बैठक को यह पहला झटका था । दूसरी ओर प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता बनर्जी ने बस तीन बातें कहीं पहली कि हम एक हैं । दूसरी कि हम मिलकर लड़ेंगे और तीसरी की अगली बैठक शिमला में होगी । लेकिन ममता बनर्जी ने यह नहीं बताया कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी क्या कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को साथ लेकर चुनाव लड़ेगी । क्योंकि इससे पहले वह कांग्रेस को चेतावनी दे चुकी थी कि यदि कांग्रेस वामपंथियों का साथ नहीं छोड़ेगी तो टीएमसी से सहयोग मुश्किल है ।
इसी तरह से ममता बनर्जी ने यह तो कहा कि हम मिलकर लड़ेंगे लेकिन यह नहीं कहा कि अखिलेश यादव , केजरीवाल ,जगन रेड्डी, स्टालिन जो पहले ही कह चुके हैं कि वह अपने अपने इलाकों में कांग्रेस के लिए सीटें नहीं छोड़ेंगे तो क्या वहां पर यह लोग कांग्रेस से मिलकर लड़ेंगे । यह सारी बातें जानबूझकर गोल रखी गई । मतलब बहुत साफ था की बैठक में इन बातों को लेकर कोई सहमति नहीं बनी । हां एक बात पर सब सहमत थे की अगली बैठक शिमला में होगी । प्रश्न यह है कि क्या शिमला में बाकी सारे मसले तय हो जाएंगे।
बची कुची कसर कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन ने पटना बैठक के बाद अपने बयान से कर दी । उन्होंने स्पष्ट शब्दों में ममता बनर्जी को चेतावनी दी कि वह बंगाल में कांग्रेस को समाप्त करने के अपने सपने को छोड़ दें । कांग्रेस बंगाल में ममता बनर्जी की तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी । पश्चिम बंगाल में जो हिंसा व्याप्त है कांग्रेस इसके खिलाफ लड़ेगी । पटना बैठक पर बोलते हुए अधीर रंजन ने कहा कि कई बार दुश्मन भी शादी का कार्ड दे जाता है तो मजबूरी में उसके घर शादी में जाना पड़ता है बस यही स्थिति पटना बैठक में कांग्रेस की थी। मतलब बहुत साफ है कि कांग्रेस बिना किसी गंभीर इरादे के पटना बैठक में गई थी क्योंकि उसको बुलाया गया था और वह समाज में यह संदेश नहीं देना चाहती थी कि कांग्रेस विपक्ष की एकता में रोड़ा है इसीलिए कॉन्ग्रेस पटना बैठक में चली गई ।
मुझे नहीं लगता कि पटना बैठक में नेताओं के बीच कोई बहुत सौहार्दपूर्ण बातचीत हुई है और ऐसा भी नहीं लगता कि शिमला की बैठक में कोई बहुत चमत्कार होगा । दरअसल कर्नाटक में जीत के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद है ।चर्चा यह भी है कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर देगी । स्वाभाविक है ऐसे में कॉन्ग्रेस लोकसभा की इतनी सीटों पर लड़ना चाहेगी की वह अपने भरोसे सरकार बना सके ना कि वह नीतीश , ममता , अखिलेश , जगन रेड्डी , स्टालिन के कंधों की ओर देखें और कांग्रेस की यही उम्मीद विपक्ष की एकता में बड़ा रोड़ा है । मुझे नहीं लगता अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए दो चार सीटों से ज्यादा छोड़ेंगे और ना ही बिहार में लालू और नीतीश कांग्रेस को पैर जमाने देंगे । ममता का तो प्रश्न ही पैदा नहीं होता कि वह बंगाल में कांग्रेस को जमने का मौका दें । इसलिए भाजपा नेताओं के इस तंज पर काफी हद तक विश्वास किया जा सकता है कि पटना की बैठक बस फोटो सेशन मात्र थी ।
यदि विपक्ष को 2024 में भाजपा को टक्कर देनी है तो अभी जमीनी मोर्चे पर बहुत कुछ करना होगा जबकि समय बहुत कम बचा है । दूसरी ओर भाजपा ने इरादे साफ कर दिए हैं प्रधानमंत्री ने खुद संकेत दे दिया है एक घर में दो कानून नहीं चलेंगे । मतलब बहुत साफ है कि भाजपा 2024 से पहले यूसीसी को लेकर कोई इरादा बना चुकी है और हो सकता है वह एक बार फिर विपक्ष को अपने ही पिच पर खेलने को मजबूर करे । यही भाजपा की हमेशा ताकत रही है और विपक्ष कमजोरी रही है ।
फिलहाल तो मैच की तैयारियों पर चर्चा का मजा लीजिए । उससे पहले राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में जमकर खेल होगा । इन प्रदेशों के नतीजे बहुत कुछ सत्ता पक्ष और विपक्ष का भविष्य तय करेंगे।